शंकराचार्य का सवाल धर्म निरपेक्ष देश में केवल मठ-मंदिर का अधिग्रहण क्यों…नियम है तो सब पर लागू हो

ब्राह्माण हुंकार में शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने हिंदू धर्म के साथ हो रहे षड़यंत्र पर सरकारों घेरा और कहा कि नियमों-कानूनों के नाम पर केवल हिंदू धर्म के आस्था केंद्रों मठ-मंदिरों का अधिग्रहण किया जाता है। अगर नियम है तो सभी धर्म पर इसे लागू किया जाना चाहिए। धर्म परिवर्तन पर भी शंकराचार्य महाराज ने कहा कि अविवेक-अज्ञानता के कारण धर्म बदले जाते हैं और यही वजह है कि लव जिहाद जैसा षड़यंत्र हमारी संस्कृति के खिलाफ किया जा रहा है। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वतीजी ने भोपाल में ब्राह्माण हुंकार कार्यक्रम में कहा कि ब्राह्मणों में वह जाग्रति पैदा होना शुरू हुई है जो बहुत पहले आ जाना चाहिए थी। समाज और धर्म शास्त्रों, परंपरा ने ब्राह्मणों को जो स्थान व गौरव प्रदान किया है, उसकी रक्षा करना सभी ब्राह्माणों का परम कर्तव्य है। वेदों और शास्त्रों में आदेश प्राप्त होता है कि ब्राह्मण को बिना प्रयोजन, बिना स्वार्थ और बिना हानि-लाभ की चिंता किए, चारों वेद और वेदांतों का अध्ययन करना चाहिए। वेद और शास्त्र ब्राह्माणों को कहां स्थापित कर रहे हैं, जहां स्थापित किया है, अगर वहां नहीं हैं तो उस विचार के लिए यह सम्मेलन उपयोगिता सिद्ध करेगा। मंथन करना चाहिए कि मनुष्य हो जाना है जीव की बहुत बड़ी उपलब्धि है। ब्राह्मण हो जाए और ब्राह्मण में बुद्धिजीवी हो जाए तो वह श्रेष्ठ होता है। ब्राह्माणों का कत्तर्व्य है कि जिस गौरव को उन्हें वेद-शास्त्रों में प्रदान किया गया है, उसकी रक्षा करना चाहिए। ब्राह्मणत्व की रक्षा करना चाहिए। कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। ब्राह्माणों सभी को एक होना चाहिए। समाज एक हो तो पूरा देश एक हो जाएगा। एकता अपने घर से प्रारंभ करना चाहिए।
ब्राह्मणों की एकजुट नहीं होने से उन पर दूसरे राज करते
शंकराचार्य ने कहा कि ब्राह्माणों की एकजुट नहीं होने के कारण ही दूसरे लोग आपके ऊपर राज करते हैं। जहां सब नेता बन जाते हैं, वहां समाज उत्थान नहीं कर पाता है। इसलिए स्वीकार करना होगा कि हमसे बड़ा कोई है। जहां सभी नेता, सरपंच, मालिक हो जाते हैं, वह समाज उन्नति नहीं कर पाता है। इसलिए समाज में जो अनुभवी हैं, बुद्धिमान हैं, उनकी सलाह लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
धर्म परिवर्तन करने से जाति नहीं बदलती क्योंकि वह माता-पिता से जुड़ी
स्वामी सदानांद सरस्वती महाराज ने कहा कि जिस जाति के माता-पिता हैं तो वह बदल नहीं जाएगी। इसलिए किसी को भी धर्म परिवर्तन करने की आज्ञा नहीं दी जाती है। जिस धर्म में पैदा होते हैं और धर्म परिवर्तन से जिस धर्म में जा रहे हैं उसके गुण दोष की बौद्धिक योग्यता नहीं होती है। इसी अज्ञानता और अविवेकता के कारण लव जिहाद जैसे बड़े बड़े षड़यंत्र हमारे खिलाफ किए जा रहे हैं। हमारी राष्ट्रीयता को नष्ट करने के लिए षड़यंत्र किए जा रहे हैं।
संस्कृति की रक्षा का जिम्मा ब्राह्माणों पर ज्यादा
शंकराचार्य ने कहा कि हमारी संस्कृति पाकिस्तान-बंगलादेश ही नहीं कंबोडिया तक फैली थी। प्राचीन संस्कृति है सनातन संस्कृति है और आदि अनादिकाल से चली आ रही है। इसकी रक्षा करने का कर्तव्य ब्राह्माणों का सबसे ज्यादा है। ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। धन संपत्ति तो बहुत लोग कमा लेते हैं। कई मंदिर सरकार ने अपने आधिपत्य ले लिया है तो उन्हें ब्राह्माणोंको सौंपने के लिए प्रयास करना चाहिए। धर्म निरपेक्ष है तो एक ही धर्म पर शासन का अंकुश क्यों है। नियम है तो सभी पर लागू होना चाहिए। भारत में सभी को रहने का अधिकार है, कोई आपत्ति नहीं है। धर्म निरपेक्ष सरकार किसी भी मठ मंदिर का अधिकार कैसे ले सकती है।

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