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विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक “लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या” का विमोचन

विश्वरंग के पूर्व रंग के रूप में रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री लिखित ‘हू किल्ड शास्त्री’ के हिंदी अनुवाद ‘लाल बहादुर शास्त्री मृत्यु या हत्या?’ पुस्तक का भव्य विमोचन शुक्रवार को रवीन्द्र भवन में किया गया।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि अच्छा लगता है भोपाल के बाशिंदे दुनिया में राज करते हैं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय सिर्फ शिक्षा ही नहीं विद्यार्थियों को वैश्विक मंच भी प्रदान करता है। आजादी के बाद एक परंपरा बन गई कि तथ्यों को छुपाया जाए। इतिहास सही ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। गलतियों से हमें सीखना चाहिए।
अग्निहोत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण बात है कि इस किताब का हिंदी में विमोचन हो रहा है। विश्वरंग के बारे में बात करते हुए कहा कि यह पहले हम भूल गए थे कि कला ही समाज की आत्मा होती है। विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि पहले लोग पूछते थे कि क्या इतने मुश्किल विषयों पर कार्य करते हुए आपको असफलता का डर नहीं लगा तो मेरा जवाब यही रहा है कि जब आप धर्म की राह पर होते हैं और सही कार्य करते हैं तो असफलता होती ही नहीं है।
ताशकंद फाइल्स पर बात कहते हुए उन्होंने बताया कि शास्त्री जी पर फिल्म मैंने तब बनाई जब 2 अक्टूबर पर एक दिन बेटा बोला कि आज गांधी जयंती है और मैंने उसे बताया कि आज हमारे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है तो वह बोला कौन लाल बहादुर शास्त्री? तब मेरे मन में व्यथा उठी थी और मैंने शास्त्री को लोगों तक पहुंचाने का ठाना था क्योंकि कमोबेश यह स्थिति भारत के बहुत बड़ी संख्या में युवाओं के साथ थी। इस फिल्म की रिसर्च के दौरान मैंने यह भी जाना कि शास्त्री की दो बार हत्या हुई थी। एक बार ताशकंद में और दूसरी बार भारत में तब हुई जब शास्त्री की मौत के विषय को पूरी तरह हमारे ही लोगों ने दबा दिया।
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य संतोष चौबे ने दिया। इसमें उन्होंने विश्वरंग की अवधारणा के बारे में बात करते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े ‘विश्व रंग’ टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव का भव्य आयोजन इस बार भारत सहित विश्व के 50 देशों में एक साथ होगा। भारत में 14 नवंबर से 20 नवंबर तक कुशाभाऊ ठाकरे सभागार (मिंटो हॉल), रवीन्द्र भवन, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं कला पर केन्द्रित विभिन्न रचनात्मक सत्रों एवं गतिविधियों का आयोजन होगा। विश्वास तिवारी ने पुस्तक की प्रस्तावना रखी।
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