विधानसभा चुनाव 2023 में दिखने लगी CONG की चुनावी एकता तो BJP की चुनावी घोषणाएं

मध्य प्रदेश में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं कांग्रेस में एकबार फिर बड़े नेताओं की चुनावी एकता का प्रदर्शन दिखाई जाने लगी है। कमलनाथ-दिग्विजय सिंह-सुरेश पचौरी जैसे नेताओं के बीच आपसी रिश्तों पर ली जाने वाली चुटकियों पर विराम लगाने के लिए एकता का प्रचार किया जा रहा है। वहीं, भाजपा में भी चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं तो लाड़ली बहना योजना के बाद समाजों व अन्य वर्गों को रिझाने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में नई सरकार तय हो जाएगी जिसके लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कमर कस के मेहनत में जुट गई हैं। भाजपा जहां सत्ता में होने की वजह से सरकारी कर्मचारियों, महिलाओं-युवा, समाजों को लुभाने के लिए घोषणाएं करने में जुटी है तो कांग्रेस उसका काउंटर वचन पत्र को सभी वर्गों से वादा करने की रणनीति पर चल रही है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के एकदूसरे पर वार-पलटवार तेज हो गए हैं।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नजर
भाजपा की पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की पूरी नजर यहां टिकी है। कर्नाटक चुनाव के बाद उनका अगला टारगेट हिंदी भाषी राज्यों पर होने की संभावना है जिसमें मध्य प्रदेश उनके लिए विशेष महत्व का होगा। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना को चुनावी साल में मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी भाजपा कोई कमी नहीं छोड़ना चाह रही है।

समाज-युवा-सरकारी कर्मचारियों के लिए अब घोषणाएं
प्रदेश सरकार ने समाजों को अपनी तरफ आकर्षित करने कई प्रयास किए हैं। महाराणा प्रताप जयंती, महावीर जयंती, ज्योतिबा फुले जयंती, आंबेडकर जयंती सभी के माध्यम से समाजों को अपने से जुड़ाव की कोशिश की जा रही है। महाराणा प्रताप जयंती पर सामान्य अवकाश तो महावीर जयंती पर अवकाश जैन धर्म के कैलेंडर के मुताबिक परिवर्तन, ज्योतिबा फुले जयंती पर ऐच्छिक अवकाश, शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी को शामिल करने और एक सीएम राइज का नामकरण करने का ऐलान किया तो आंबेडकर जयंती पर ग्वालियर में महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है। वहीं, युवाओं के लिए युवा नीति की घोषित कर दी गई है तो सरकारी कर्मचारियों में नवनियुक्त शिक्षकों के लिए चार साल के बजाय दूसरे ही साल सौ फीसदी वेतन की पात्रता का ऐलान कर दिया गया है।
कांग्रेस में एकता का संदेश देने की कोशिशें
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की दशकों से गुटीय राजनीति की छवि को मिटाने के लिए इस बार फिर एकता का संदेश देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के दौरे तेज हो गए हैं तो सुरेश पचौरी भी संगठन की गतिविधियों पर लगातार सक्रिय भूमिका में दिखाई देने लगे हैं। कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच जिस तरह की तल्ख टिप्पणियां हुआ करती थीं, वे अब सुनाई देना बंद हो गईं हैं। दोनों ही नेता प्रदेश में दौरे कर रहे हैं। दिग्विजय 66 उन सीटों पर दौरे कर रहे हैं जहां कांग्रेस कई दशकों से हार रही है तो कमलनाथ जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री चेहरे पर दिग्विजय ले रहे कमलनाथ का नाम
मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर नए साल की शुरुआत में जिस तरह पोस्टर-बैनर लगे थे और उसके बाद जिस तरह प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल, अरुण यादव, अजय सिंह के बयान आए थे, अब दिग्विजय सिंह खुलकर कमलनाथ को सीएम चेहरा बताकर भाजपा में इस पद की दौड में शामिल नेताओं के नाम गिनाकर पलटवार करने लगे हैं। दिग्विजय सिंह ने शमसाबाद के बाद आज जैसीनगर में कमलनाथ के नवंबर-दिसंबर में मुख्यमंत्री बनने का बयान दिया। वहीं, भाजपा में मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नेताओं में शिवराज सिंह चौहान के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय और वीडी शर्मा लाइन में बताया। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा में इतने लोग सूट सिलवाकर तैयारी किए हैं लेकिन शपथ होगी तो कमलनाथ की ही होगी।

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