मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले इन दिनों भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में हड़बड़ाहट का माहौल दिखाई दे रहा है। भाजपा में कर्नाटक विधानसभा चुनाव की हार के बाद कुछ ज्यादा यह स्थिति नजर आ रही है और बुधवार को प्रदेश के बड़े नेताओं के अचानक भोपाल-दिल्ली के दौरों में यह साफ जाहिर हो गया है कि वहां सबकुछ ठीक नहीं है। इसी तरह कांग्रेस में भी दिल्ली में शुक्रवार को प्रदेश के बड़े नेताओं को बुलाए जाने के पीछे चुनावी रणनीति गिनाया जा रहा है लेकिन खिचड़ी वहां भी कुछ पक तो रही है जिसका नतीजा आने वाले दिनों में दिखाई दे सकता है। पढ़िये इन्हीं हालातों पर रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में इन दिनों भाजपा-कांग्रेस नेताओं के लिए परीक्षा की घड़ी है जिसमें उनके धैर्य के साथ भविष्य को दिशा देने वाले फैसलों पर नजर गड़ाए रखने की जरूरत है। भाजपा में पिछले कुछ दिनों से पार्टी छोड़ देने और छोड़ने की चेतावनी भरी आवाज निकालने वालों की सख्या तेजी से बड़ी है जिसका नतीजा है कि ग्वालियर संभाग से देशराज यादव के परिवार के यादवेंद्र सिंह यादव से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी के पुत्र दीपक, विधायक प्रदीप लारिया के भाई भाजपा छोड़कर कांग्रेस में पहुंच गए। कुछ नेताओं सत्यनारायण सत्तन, भंवरसिंह शेखावत, केपी यादव असंतुष्टों की भाषा बोलते नजर आए हैं और पार्टी छोड़ने या छोड़ने की धमकियों के बीच संगठन कहीं न कहं कमजोर दिखाई दिया है।
बुधवार के घटनाक्रम से असमंजस
भाजपा में बुधवार की रात को जो भी घटनाक्रम चला जिसके चलते बड़े नेता व कार्यकर्ता असहज दिखाई दिए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक भोपाल-दिल्ली के बीच लंबी चर्चा हुई। मगर इन नेताओं की भीड़ में बुधवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की कोई मौजूदगी दिखाई नहीं दी। तोमर की रात को राज्यपाल से मुलाकात भी हुई जिससे कयासबाजी का सिलसिला तेज हो गया। अब यहां चर्चा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की आहट के साथ प्रदेश में भी कुछ परिवर्तन दिखाई दे सकते हैं।
कांग्रेस में भी संतोष-असंतोष
ऐसा नहीं है कि विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में ही उहापोहा की स्थिति है बल्किक कांग्रेस मेे भी वैसे ही हालात हैं। कांग्रेस में पीसीसी अध्य़क्ष कमलनाथ की वरिष्ठता के लिहाज से फिलहाल परिस्थितियां सामने नहीं आ रही हैं। यह परिस्थितियां हाईकमान की नजर में हैं और 26 मई को प्रदेश के चुनिंदा नेताओं के साथ होने वाली बैठक में किसी मुद्दे पर स्थानीय नेता अपनी भड़ास को निकाल सकते हैं। तब हाई कमान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश के नेताओं को किसी फार्मूले के माध्यम से शांत कर सकता है। दिल्ली में हाईकमान के साथ बैठक में प्रदेश के जिन नेताओं को बुलाया गया है उनमें वर्तमान पीसीसी चीफ व नेता प्रतिपक्ष सहित पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रमुख रूप से शामिल हैं।
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