मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर पिछले पांच असेम्बली इलेक्शन के विश्लेषण में हमने अब तक ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल, नर्मदापुरम, भोपाल संभाग के 164 विधानसभा क्षेत्रों के बारे में बताया है और आज हम बता रहे हैं मध्य प्रदेश के निमाड़ वाले 23 विधानसभा सीटों के बारे में। खंडवा, खरगोन, धार, बड़वानी और बुरहापुर जिलों में फैले पूर्वी व पश्चिमी निमाड़ के इन विधानसभा सीटों पर भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के लिए बागी मुसीबत बनते रहे हैं। वैसे यहां की 15 या इससे ज्यादा सीटें जिस राजनीतिक दल के पास जाती रहीं वही मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की स्थिति पहुंचा है और विधानसभा चुनाव 2023 में भी यहां भाजपा-कांग्रेस दोनों ही जोर लगा रही हैं। पढ़िये इन विधानसभा सीटों का राजनीतिक मिजाज।
मध्य प्रदेश का निमाड़ विंध्य-सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से दो तरफ से घिरे और बीच में नर्मदा नदी वाला क्षेत्र है जिसका पौराणिक इतिहास है और इसके पौराणिक सांस्कृतिक केंद्र महेश्वर, मांधाता व औंकारेश्वर हैं। महेश्वर की पहचान प्राचीन समय में महिष्मती के रूप में होती थी और कालिदास ने भी नर्मदा व महेश्वर का वर्णन किया है। वर्तमान में निमाड़ में मध्य प्रदेश के खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी व धार जिले आते हैं जिनमें राजनीतिक दृष्टि से 23 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां का अधिकांश क्षेत्र आदिवासी जनजातियों वाला है जिनमें गौंड, बैगा, कोरकू, भिलाला, भील, शबर जनजातियां प्रमुख हैं और यही वजह है विधानसभा की 23 सीटों में से 14 सीटों पर इन जनजातीय समाज के प्रतिनिधि ही विधानसभा में पहुंचते हैं।
निमाड़ में बागियों से जुझते रहे हैं भाजपा-कांग्रेस
निमाड़ की 23 सीटों में से कांग्रेस ने 16 सीटें जीतकर कमलनाथ सरकार बनाई थी लेकिन जिन 22 विधायकों ने दलबदल कर सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण रोल निभाया था, उनमें से तीन यहीं के थे। बागियों की वजह से भी भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान झेलना पड़ा है। बड़वानी सीट पर जहां रमेश पटेल के खिलाफ राजन मंडलोई उतर तो कांग्रेस को तीसरे स्थान पर खिसकना पड़ा तो खंडवा में भाजपा के बागी कौशल मेहरा की वजह से देवेंद्र वर्मा की बढ़त 26492 कम हो गई। इसी तरह पंधाना सीट पर कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी छाया मोरे को बागी रूपानी नंदू बारे की वजह से हार झेलना पड़ी थी क्योंकि वह 25456 वोट ले गईं थीं। बुरहानपुर में कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र महाजन को कांग्रेस से जुड़े परिवार के सुरेंद्र सिंह शेरा के मैदान में उतर जाने से जमानत ही गंवाना पड़ी थी और शेरा निर्दलीय जीत गए थे। भगवानपुरा सीट से कांग्रेस अधिकृत प्रत्याशी विजय सिंह सोलंकी के खिलाफ बागी हुए केदार भाई डाबर निर्दलीय ही जीतकर विधायक बन गए। हालांकि बाद में विजय सिंह सोलंंकी ने भाजपा की सदस्यता ले ली। वहीं, भाजपा को भी इन बागियों की वजह से महेश्वर सीट पर तीसरे स्थान पर खिसकना पड़ा था जिसमें बागी राजकुमार मेव भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी से 14 हजार वोट ज्यादा पाए थे। इसी तरह बदनावर में भी भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी भंवरसिंह शेखावत के खिलाफ राजेश अग्रवाल बागी हो गए थे जिससे 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव जीत गए थे जो बाद में कमलनाथ सरकार को गिराने वाले विधायकों के समूह का हिस्सा बन गए थे। हालांकि बागी राजेश अग्रवाल की बगावत में शेखावत ने कैलाश विजयवर्गीय पर अग्रवाल को हर तरह से मदद करने के आरोप लगाए थे और अभी एक साल पहले राजेश अग्रवाल को नागरिक आपूर्ति निगम का उपाध्यक्ष बना दिया गया है।
भाजपा के लिए गढ़ रहा निमाड़
पिछले पांच चुनाव के परिणामों से यह क्षेत्र भाजपा का गढ़कर उभरा है लेकिन 2018 में यहां से कांग्रेस को मिली सफलता से यह मिथक टूटा भी था। खंडवा की हरसूद, खंडवा, पंधाना, बड़वानी, धार सीटें पांच या चार जीतकर भाजपा का यहां वर्चस्व जैसा साबित हुआ है तो पांच में से तीन बार अपने पक्ष में परिणाम करने वाली सीटों में भी भाजपा ने कांग्रेस को मात दे रखी है। मगर इस क्षेत्र में आदिवासी युवाओं के संगठन जयस का वर्चस्व करीब एक दशक में धीरे-धीरे बढ़ा है और पढ़े लिखे आदिवासी समाज में उसकी पकड़ के चलते राजनीतिक दलों से वे सवाल जवाब करने लगे हैं। जयस को कांग्रेस की बी टीम भी कहा जाता है और 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इसके नेता डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट देकर संगठन का सपोर्ट हासिल भी किया था।
टिकट वितरण में यादव और विरोधियों में टकराव होता रहा
निमाड़ में पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव और उनके विरोधियों के बीच यहां टिकट वितरण पर टकराव की स्थितियां भी बनती रही हैं। विशेष तौर पर खरगना जिले में अपने विरोधियों को टिकट दिए जाने के खिलाफ दिखाई देते रहे हैं। उनके विरोधी माने जाने वाले रवि जोशी व सुरेंद्र सिंह शेरा समय समय पर उनकी खिलाफत भी करते रहे हैं।
भाजपा के पास निमाड़ में बड़ा चेहरा शाह, शेखावत या दत्तीगांव
निमाड़ में अभी भाजपा के पास बड़े चेहरे के रूप में विजय शाह के अलावा भंवर सिंह शेखावत या राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ही दिखाई देते हैं जो परस्पर एक-दूसरे के विरोधी हैं। दत्तीगांव जब कांग्रेस में थे तो शेखावत को उन्होंने चुनाव में हराया भी था। विजय शाह आदिवासी राजघराने का प्रतिनिधित्व करते हैं और वे लगातार चुनाव जीत रहे हैं।
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