मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार ग्वालियर-चंबल क्षेत्र कांग्रेस के लिए मुश्किल भरा रहेगा क्योंकि अब तक उसके वोट में बसपा ही एकमात्र बाधा थी लेकिन इस बार सिंधिया भी उसके साथ नहीं है। ऐसे में ग्वालियर क्षेत्र की 19 सीटों पर आज की स्थिति में भाजपा के पास 10 व कांग्रेस के पास नौ सीटें हैं जो विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के पास 15 सीटें थीं और इसी समीकरण की वजह से कांग्रेस प्रदेश में सरकार बना सकी थी। विधानसभा चुनाव 2023 में ग्वालियर की ये 19 सीटें सत्ता की कुर्सी में मुख्य भूमिका निभाएंगी। मध्य प्रदेश विधानसभा 2023 के पहले हमारी चुनावी चर्चा की श्रृंखला में आज जानते हैं ग्वालियर क्षेत्र की 19 सीटों का गणित।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में ग्वालियर-चंबल की 36 सीटें काफी महत्व रखेंगी जिनमें से 19 सीटें ग्वालियर के ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, अशोक नगर और गुना जिले में आती हैं। गुना-अशोक नगर जिला तो राजगढ़ से लगा है तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की टेरेटरी वाला माना जा सकता है लेकिन ग्वालियर, शिवपुरी व दतिया जिलों में कांग्रेस के पास ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं है। ग्वालियर क्षेत्र की 19 विधानसभा सीटों में से विधानसभा चुनाव 2018 में 15 सीटें कांग्रेस ने जीती थी और केवल चार सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। इनमें से भी केवल गुना व शिवपुरी सीटों पर भाजपा की बड़ी जीत हुई थी जहां गोपीलाल जाटव व यशोधरा राजे सिंधिया विजयी रही थीं। मगर दो अन्य सीटों दतिया व कोलारस पर भाजपा को जीत में पसीना छूट गया था जिसमें दतिया से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ढाई हजार तो कोलारस से बृजेंद्र रघुवंशी मात्र सात सौ वोट से ही जीत पाए थे।
उपचुनाव में सिंधिया का साथ नहीं होने पर यह हुआ
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस का साथ छोड़ने के बाद पहली बार 2020 में उपचुनाव में कांग्रेस ग्वालियर में नौ सीटों पर उतरी थी जिनमें अशोक नगर-गुना जिले की दो सीटें भी शामिल थीं। सिंधिया के नहीं होने से गुना-अशोक नगर दिग्विजय प्रभाव वाला क्षेत्र हो गया है लेकिन उपचुनाव में यहां कांग्रेस में रहते जो बृजेंद्र सिंह यादव मात्र 2200 वोट से जीते थे, वे भाजपा में जाने के बाद यहीं से 22 हजार वोट से जीत गए तो अशोक नगर से कांग्रेस में रहकर जजपाल सिंह जज्जी 10 हजार वोट से जीत हासिल कर सके थे तो उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनने के बाद 14500 मतों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे। बमोरी से सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में 28 हजार वोट से जीत हासिल कर सके थे लेकिन भाजपा में जाने के बाद यहीं से वे 53 हजार वोट से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे।
बसपा-सिंधिया फेक्टर ग्वालियर में बदलेगा समीकरण
विधानसभा चुनाव 2023 में ग्वालियर के पांच जिलों की विधानसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी व सिंधिया फेक्टर बहुत कुछ समीकरण बदल सकता है। बहुजन समाज पार्टी इन जिलों की लगभग सभी सीटों पर ढाई प्रतिशत से लेकर 13-14 प्रतिशत तक वोट हासिल करने में कामयाब रहता आया है जो किसी भी दल की हार-जीत के लिए बहुत बड़ा आंकड़ा है। बसपा का वोट हमेशा ही कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहा है और इससे उसकी जीत का आंकड़ा कम होने के साथ हार की आशंका भी बनी रहती है। दूसरा फेक्टर सिंधिया है जिसका लाभ अब भाजपा को निश्चित तौर पर मिलेगा और अगर 2018 की भांति सिंधिया अपने क्षेत्र की 19 सीटों में से 15 भाजपा के पक्ष में कामयाब रहते हैं तो यहां कांग्रेस के लिए मुसीबत पैदा कर सकता है।
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