मध्य प्रदेश में पांच-छह महीने में चुनाव होने वाले हैं और अब भाजपा-कांग्रेस से मुख्यमंत्री चेहरे पर सवाल होने लगे हैं लेकिन दोनों ही पार्टियां चेहरे को लेकर सवालों को टालती नजर आ रही हैं। पहले कांग्रेस हाईकमान से लेकर दिल्ली के तमाम नेताओं ने चेहरे के सवाल को मुद्दे पर मोड़ दिया तो अब भाजपा भी चेहरे के सवाल को नेतृत्व पर मोड़ती नजर आ रही है। यानी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर दोनों ही दलों को आंतरिक कलह का डर सता रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मध्य प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी है और बैठकों का दौर तेज हो गया है। भाजपा जहां सत्ताधारी दल होने की वजह से सरकार विरोधी हवा से जूझने के साथ चुनावी तैयारी में जुट गई है तो कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद रिक्त हुए उनके स्थान को पुराने नेताओं के माध्यम से भरने की कवायद करते हुए चुनाव मैदान में जाने की दिशा में कदमताल कर रही है। दोनों ही पार्टियों में इस समय आंतरिक कलह की स्थिति है लेकिन भाजपा में यह कुछ ज्यादा है।
चेहरे के सवालों को टालते नेता
मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह तो दिसंबर 2023 में तय होगा लेकिन भाजपा की सरकार बनी तो कौन और कांग्रेस की सरकार बनी तो कौन, इस पर भी अब संशय के बादल मंडराने लगे हैं। भाजपा में पिछले महीने के राजनीतिक घटनाक्रम ने जो भूचाल की स्थिति पैदा की थी, उसके बाद यह संशय और बढ़ गया है। आज भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष और मध्य प्रदेश में लंबे समय प्रभारी रहे विनय सहस्त्रबुद्धे ने मोदी सरकार के नौ साल की उपलब्धियों को लेकर अपने भोपाल, देवास, उज्जैन प्रवास दौरों की जानकारी देते हुए पत्रकारों के सवालों के जवाब में चेहरे के सवाल को पीएम नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व की ओर मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव मोदी-शिवराज के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। सहस्त्रबुद्धे इस सवाल के साथ प्रदेश के संगठन में बदलाव को लेकर भी जवाब देने से बचते नजर आए। गौरतलब है कि इसके पूर्व कांग्रेस में भी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा जैसे नेता कमलनाथ के विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरे के सवाल को टाल चुके हैं और कांग्रेस ने सीएम चेहरे की जगह जवाब दिया है कि चुनाव मुद्दों को लेकर लड़ा जाएगा।
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