विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते MP दिल्ली की पकड़ में, JP के साथ वेणुगोपाल के भोपाल आने से चर्चाएं बढ़ीं

विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते MP दिल्ली की पकड़ में, JP के साथ वेणुगोपाल के भोपाल आने से चर्चाएं बढ़ीं। विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस हाईकमान मध्य प्रदेश के नेताओं को स्वतंत्र होकर फैसले लेने की छूट देने के मूड में नहीं दिख रहा है। सोमवार को पॉलिटिकल अफेयर कमेटी में दिल्ली के दो-दो प्रतिनिधि और फिर कमेटी के भीतर हुई चर्चा की ब्रीफिंग जीतू पटवारी द्वारा किए जाने से यह संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं एमपी में चुनाव संबंधी फैसले लेने में हाईकमान यहां के नेताओं पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहता है। पढ़िये इस राजनीतिक समीकरण पर यह रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का एक के बाद एक दिल्ली में पहुंचकर हाईकमान से मुलाकात करना और फिर प्रदेश में पीसीसी के फैसलों में पहले जैसी एकतरफ धार दिखाई न देना, यह माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में हाईकमान एमपी में अपनी पकड़ ढीली नहीं होने देगा। विधानसभा चुनाव नजदीक होने के बाद भी प्रदेश के नेता इंदौर, भोपाल, खंडवा जैसे जिलों के जिला अध्यक्ष पर फैसला नहीं करा पा रहे हैं। प्रदेश के राजनीतिक मामलों पर भी हाईकमान की सीधी नजर है जिसका सोमवार को एआईसीसी के संगठन प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल की एक महत्वपूर्ण बैठक में अहसास करा दिया गया है। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल भी थे लेकिन इसके बावजूद वेणुगोपाल एआईसीसी का जो संदेश लाए थे वह राज्य के शीर्ष नेताओं तक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से पहुंच गया है। चुनाव में मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मध्य प्रदेश में लगातार दौरों की जानकारी पहुंचाकर यह संदेश पुख्ता भी हो गया है।

हाईकमान की जानकारी में प्रदेश के नेताओं की पसंद-नापसंद
यहां आम चर्चा है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं की पसंद और नापसंद की वजह से कुछ नेताओं की नाराजगी है। खेमों में बंटी कांग्रेस में पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के बीच इन दिनों अंडरस्टैंडिंग ज्यादा है तो दिग्विजय सिंह से उनके संबंध पहले जैसे नहीं हैं। अरुण यादव और अजय सिंह भी कुछ नेताओं की आंखों की किरकिरी हैं तो नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की साफगोई से कुछ नेता उन्हें मन से पसंद नहीं कर पा रहे हैं। नेताओं की पसंद-नापसंद का यह एमपी कांग्रेस का समीकरण हाईकमान की जानकारी में है। पीसीसी में नेताओं के कक्ष से लेकर कामकाज के बंटवारे तक प्रदेश के नेताओं की पसंद-नापसंद झलकती है तो कुछ नेता पीसीसी की सीढ़ियां इसीलिए नहीं चढ़ते कि वहां एक गुट विशेष के नेताओं की पकड़ मजबूत है।

हाईकमान ने तैयार किए आंख-नाक-कान
कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी और यहां के बड़े नेताओं के अड़ियल रवैये पर अंकुश रखने के लिए कुछ नियुक्तियां कर अपनी आंख-नाक-कान तैयार कर लिए हैं। प्रदेश प्रभारी-सह प्रभारी की टीम के अलावा पर्यवेक्षकों की फौज और फिर मोर्चा-संगठनों में जिलों में समन्वयकों की नियुक्तियां करके हाईकमान ने अपनी टीम बना ली है। साथ ही प्रदेश के कुछ राष्ट्रीय नेताओं से अलग से काम लिया जा रहा है।

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