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विधानसभा की कार्यवाही को बाधित करने में जिम्मेदार कौन, बड़ा सवाल

मध्य प्रदेश की विधानसभा के सत्रों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य सदन के बाहर चर्चा करने और सत्र को छोटा-बड़ा बताने के बयान देते हैं लेकिन सदन के भीतर ऐसा माहौल कौन पैदा कर देता है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को सुनने को राजी नहीं होते। हंगामा और फिर कार्यवाही कुछ निश्चित समय या अगले दिन या फिर अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी जाती है। चालू मानसून सत्र का भी यह हश्र होता नजर आ रहा है जबकि यह सत्र लंबे अंतराल के बाद हो रहा है।
मानसून सत्र जुलाई में होना था लेकिन नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव की वजह से इसे सितंबर तक के लिए टाल दिया गया था। बड़े अंतराल के कारण सत्र में नगरीय निकाय-पंचायतों के चुनाव के दौरान पक्ष-विपक्ष के नेताओं के दौरों से जो भी समस्याएं सामने आई थीं, उन पर सत्र के दौरान चर्चा हो सकती थी। यही नहीं कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के पास कई सारे मुद्दे होने चाहिए थे जिसमें महिला और बालिकाओं संबंधी संवेदनशील क्राइम, सायबर क्राइम, सायबर क्राइम, भ्रष्टाचार, पोषण आहार घोटाले, कुपोषण शामिल हो सकते थे। वहीं, सरकार पुलिस कमिश्नर सिस्टम के बाद भोपाल-इंदौर में अपराधों की विवेचना व कानून व्यवस्था में क्या सुधार हुआ, यह बात रख सकती थी। इसके साथ प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी जैसे कामों का चिट्ठा सरकार पेश कर सकती थी।
चालू मानसून सत्र की पांच दिन में पांच बैठकें होना थी लेकिन ताजा परिस्थितियों को देखते हुए इसके दो दिन पहले ही समाप्त कर दिए जाने की पूरी संभावना है। अब तक दो दिन की दो बैठकों में केवल साढ़े तीन घंटे ही सदन में कामकाज हुआ जिसमें से दूसरे दिन ज्यादातर समय हंगामे, गर्भगृह में धरने की वजह से कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा। जबकि मंगलवार को यह कहा गया था कि मानसून सत्र के दूसरे दिन बिना भोजनावकाश के कार्यवाही साढ़े तीन घंटे अधिक चलेगी। हंगामे के बीच समितियों के प्रतिवेदन, अनुपूरक बजट, विधेयकों को पटल पर रखने के बाद करीब दो घंटे 25 मिनिट में ही कार्यवाही गुरुवार को 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
मौजूदा परिस्थितियों व सदन के भीतर पैदा हुआ हालातों में गुरुवार को भी सदन की कार्यवाही ज्यादा चलने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं, सत्ता पक्षा प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी के 17 सितंबर को मध्य प्रदेश दौरे को लेकर भी सदन की कार्यवाही उसके पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कराना चाहेगी। ऐसे में गुरुवार को विधानसभा का मानसून सत्र भी बीते सालों के विधानसभा सत्रों की तरह निर्धारित समयावधि के पहले ही समाप्त होने के पूरे आसार हैं।
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