विंध्य में नेताओं के कद काटने की राजनीति, कांग्रेस ही नहीं भाजपा भी आगे

मध्य प्रदेश के विंध्य में नेताओं के कद बढ़ने पर उनके समकक्ष दूसरे नेताओं को खड़ा करने की राजनीति काफी समय से चली आ रही है। इस बार कांग्रेस के साथ भाजपा में इसका टारगेट दो प्रमुख नेता बनते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस में अजय सिंह का घटनाक्रम तो सामने आ चुका है लेकिन भाजपा में पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के समकक्ष उनके राजनीतिक विरोधी को खड़ा किया जा रहा है। यह शुक्रवार को हुए एक घटनाक्रम से साफ होता दिखाई दे रहा है। पढ़िये विंध्य की राजनीति के इस घटनाक्रम पर एक रिपोर्ट।

विंध्य में भाजपा के प्रमुख नेताओं में पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला माने जाते हैं जिनका 2018 में काफी दबदबा था। कोरोना काल में बनी शिवराज सरकार में मंत्री बनाए जाने से वंचित होने के बाद क्षेत्र से दूसरे वरिष्ठ विधायक गिरीश गौतम ने विंध्य का प्रतिनिधित्व किया और वे भारी कशमकश के बीच विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए। राजेंद्र शुक्ला को विधानसभा का कार्यकाल समाप्त का समय नजदीक आ जाने पर भी आज तक सरकार में कोई जगह नहीं मिल सकी है। बल्कि उनके राजनीतिक कद को कम करने के लिए शुक्रवार को बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया।
अभय-नीलम मिश्रा की घर वापसी
राजेंद्र शुक्ला के राजनीतिक विरोधी अभय-नीलम मिश्रा ने पांच साल पहले भाजपा को छोड़ दिया था। तब नीलम मिश्रा भाजपा से विधायक थीं और उनके पति के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज हो गई थी। उन्हें विधानसभा सत्र के दौरान पुलिस ने प्रदेश के कई स्थानों पर घेराबंदी कर हरदा में गिरफ्तार किया था और जब नीलम मिश्रा ने विधानसभा में धरना दिया था तब उन्हें छोड़ा गया। नीलम मिश्रा ने आईजी रीवा को लिखित शिकायत कर राजेंद्र शुक्ला से स्वयं, अपने पति व क्षेत्र की जनता को जान का खतरा बताया था। शुक्रवार को वही अभय-नीलम मिश्रा प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष वी़डी शर्मा व वर्तमान गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के सामने भाजपा की सदस्यता ले लेते हैं। जबकि एक दिन पहले ही रीवा में लाड़ली बहना सम्मेलन के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान पहुंचे थे तो रोड शो से लेकर सम्मेलन तक में राजेंद्र शुक्ला उनके साथ साये जैसे रहे। 24 घंटे में उनके घोर विरोधी अभय-नीलम मिश्रा की पार्टी में वापसी, उनके कद को कमजोर करने का बड़ा घटनाक्रम नजर आता है।
अभय की वापसी से भाजपा के कई नेता कमजोर होंगे
अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा की घर वापसी से भाजपा में विंध्य के कई नेताओं की स्थिति कमजोर होगी। गिरीश गौतम से लेकर बिसाहूलाल सिंह, केदार शुक्ला, जयसिंह मरावी, कुंवर सिंह टेकाम, रामलल्लू वैश्य, नागेंद्र सिंह गुढ़, नागेंद्र सिंह नागौद जैसे वरिष्ठों के साथ नए उभरते नेता केपी त्रिपाठी, शरदेंदु तिवारी, दिव्यराज सिंह, रामखिलावन पटेल भी पीछे छूट सकते हैं। अभय मिश्रा सेमरिया से हैं और वहां के नए चेहरे विधायक केपी त्रिपाठी को अपनी टिकट बचाने का खतरा बन गया है।

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