वसीयत में करा लो मुझसे अपनी जान कर दूंगा, वतन की आन की ख़ातिर मैं सब क़ुर्बान कर दूंगा

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत छतरपुर में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित की गई। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित “तलाशे जौहर” कार्यक्रम के बाद अब ज़िला मुख्यालयों पर स्थापित एवं वरिष्ठ रचनाकारों के लिए “सिलसिला” के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस कड़ी का इकत्तीसवां कार्यक्रम छतरपुर में 12 नवंबर को शाम “शेरी व अदबी नशिस्त” का आयोजन ज़िला समन्वयक शबीह हाशमी के सहयोग से किया गया।

अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है।

तीस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर, हरदा बैतूल, जबलपुर, गुना, बड़वानी, इंदौर, कटनी, सीहोर, खरगोन एवं राजगढ़ में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम छतरपुर में आयोजित हुआ जिसमें छतरपुर एवं पन्ना ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।
छतरपुर साहित्यिक गोष्ठी में 12 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता छतरपुर के वरिष्ठ शायर ग़ुलाम मोहम्मद हक़ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में समाज सेवी अब्बास अली एवं विशेष अतिथियों के रूप में फ़रीद बैग एवं स्वतंत्र प्रभाकर रावत मंच पर उपस्थित रहे।
जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।

पूरे नहीं हुए थे अभी ज़िन्दगी के दिन।
ग़ैबी मदद मिली है उसे ख़ुदकुशी के दिन।।
ग़ुलाम मोहम्मद ‘हक़’

आदमी का ऐसा ही किरदार होना चाहिए।
जो दिलों को जीत ले वो प्यार होना चाहिए।।
रशीद ख़ान

ऐसी कहां मिलेगी किसी ख़ानदान में।
जैसी मिठास है मियां उर्दू ज़बान में।।

मक़सूद शाद

वसीयत में करा लो मुझसे अपनी जान कर दूंगा।
वतन की आन की ख़ातिर मैं सब क़ुर्बान कर दूंगा।।
शबीह हाशमी

उनसे करना है अर्ज़े हाल मुझे।
ऐ ग़मे दिल ज़रा संभाल मुझे।।
स्वतंत्र प्रभाकर रावत

नीली काली कत्थई और बिल्लौरी आंखें।
अश्कों का रंग एक ही देती होती हैं जब गीली आंखें।।
अज़ीज़ राबी

दिल को क़ुर्बान मुहब्बत के सबब करता है।
तेरा दीवाना तेरा वास्ते सब करता है।।
फ़रीद बेग

ज़िन्दगी सिर्फ़ इम्तिहान है बस।
मुझको लगता है खींचतान है बस।।
ज़ुबैर अल्तमश

चांदनी रात है चले आओ।
प्यार की बात है चले आओ।।
राघवेन्द्र उदैनिया

शेरी नशिस्त का संचालन प्रमोद सारश्वत द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में शबीह हाशमी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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