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वन विभाग में एक दशक पुराने इतिहास की पुनरावृत्ति के संकेत, पुष्कर का खो-खो का खेल

मध्यप्रदेश के वन विभाग में करीब 12 साल पुराने इतिहास की पुनरावृत्ति के संकेत दिखाई दे रहे हैं. विभाग प्रमुख के लिए यस सर की भांति काम करने वाले एक अफसर की तलाश पूरी होती दिखाई दे रही है. अंतरराष्ट्रीय मेले की सफलता, वन विभाग के खिलाफ लगातार टिप्पणी करने वाले फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन को मना लेने क्षमता का प्रदर्शन करते हुए मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ के चीफ पुष्कर सिंह को वन विभाग प्रमुख बनाया जा सकता है. पुष्कर सिंह की छवि रिजल्ट ओरिएंटेड अफसर के रूप में निखर कर आए हैं और इससे वन विभाग प्रमुख तक उनके पहुंचने की सीढ़ी भी दिखाई देने लगी.
तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन से लेकर अंतर्राष्ट्रीय वन मेले के आयोजन के बीच लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह इमेज सबसे बेहतर रिजल्ट ओरिएंटेड अफसर के रूप में बिल्ट अप हुई है. इस इमेज के साथ ही यह यक्ष प्रश्न हवा में तैरने लगा है कि क्या वन विभाग में 2010 की पुनरावृति होगी. वर्ष 2010 में तत्कालीन वन मंत्री सरताज सिंह ने 1975 बैच के आईएफएस एवं तत्कालीन वन बल प्रमुख एके दुबे को हटाकर तत्कालीन लघु वनोपज संघ के एमडी और 1976 बैच के आईएफएस अधिकारी आरके दवे को विभाग के मुखिया का दायित्व सौंप दिया. यह बात और है कि दुबे के रिटायरमेंट होने तक दवे को वन बल प्रमुख का वेतनमान नहीं मिल पाया था.
कमोवेश जंगल महकमे में आज भी प्रदेश लगभग वैसे ही दिखाई दे रहे हैं. तत्कालीन वन मंत्री सरताज सिंह की तरह ही मौजूदा वन मंत्री विजय शाह वन बल प्रमुख आरके गुप्ता की कार्यशैली से पूर्णता संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि 22 अप्रैल 22 में संपन्न तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन के सफल आयोजन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर वन मंत्री विजय शाह की नजरों में हीरो बन गए. तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सफल आयोजन के लिए पुष्कर सिंह की खुले मन से प्रशंसा भी की थी. इस आयोजन के बाद से ही आईएफएस बिरादरी में लघु वनोपज संघ के एमडी की इमेज रिजल्ट ओरिएंटेड अफसर की बन गई है. अब जंगल महकमे के गलियारे में मैदानी अफसरों से लेकर मुख्यालय में पदस्थ शीर्ष अधिकारियों के बीच 2010 की पुनरावृत्ति होने की चर्चा को हवा दी जा रही है. अब सवाल उठने लगा है कि क्या पुष्कर सिंह खो-खो खेल खेलने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं.
वन बल प्रमुख गुप्ता इमेज को लगा बट्टा
लटेरी की घटना हो या फिर गुना, शिवपुरी, मुरैना और बुरहानपुर में बंद कर्मियों की हो रही लगातार पिटाई पर किंकर्तव्यविमूढ़ बने रहने से वन बल प्रमुख और 1986 बैच के आईएफएस गुप्ता की इमेज पर बट्टा लगा है. इन घटनाओं को लेकर विभाग के मुखिया के तौर पर सरकार और शासन के मुखिया मुख्य सचिव के समक्ष कर्मचारियों की सुरक्षा और वन विभाग की भूमिका को लेकर वजनदारी और प्रमुखता से पक्ष नहीं रख पाए. ऐसा परफेक्शन मैदानी अफसरों से लेकर मुख्यालय में बैठे हुए एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारियों के बीच बन रहा है. अफसरों के बीच चर्चा है कि आईएफएस अधिकारियों के मैदानी पोस्टिंग का मामला हो या फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अजीत श्रीवास्तव का प्रमोशन नहीं हो पाना, विभाग के मुखिया के नाते आरके गुप्ता शासन स्तर पर अपनी बात प्रभावी ढंग से नहीं रख पा रहे हैं. वन कर्मचारी संघ अशोक पांडेय का कहना साफ है कि विभाग के मुखिया हम वन कर्मचारियों की सुरक्षा दिलवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.
वर्णवाल से संबंध बनी मंत्री की नाराजगी की वजह
जंगलों की सुरक्षा में लगातार पिट रहे वन कर्मचारियों में विभाग के मुखिया गुप्ता के प्रति असंतोष बढ़ ही रहा है. वही वन मंत्री विजय शाह विभाग के मुखिया से इसलिए भी नाराज है, क्योंकि वह उनके मनमाफिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल में साथ नहीं दे रहे हैं. खासतौर से तब, जब वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल रहे. गुप्ता वन मंत्री विजय शाह के सुर में सुर मिलाने की बजाय तत्कालीन प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल के साथ कदमताल कर काम करना बेहतर समझा. वर्णवाल के प्रमुख सचिव रहते हुए वन मंत्री विजय शाह तबादले के खेल अपने मनमाफिक नहीं कर पा रहे थे. विजय शाह की अपेक्षा थी कि वन बल प्रमुख उनके साथ मिलकर काम करेंगे. यही वजह उनकी नाराजगी की भी रही है.
एमडी बनते ही इमेज built-up में जुट गए
विभाग के मुखिया आरके गुप्ता दिसंबर 23 में सेवानिवृत्त होंगे. दिसंबर 23 में ही लघु वन उपज सिंह के एमडी पुष्कर सिंह भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं. हर व्यक्ति की यही कामना रहती है कि वह शीर्ष पद पर पहुंचे. इस भावना से अछूते पुष्कर सिंह भी नहीं है. वर्ष 2010 में विभाग में मुखिया को हटाकर वन विकास निगम का एमडी बनाए जाने की घटना के वह चश्मदीद गवाह भी है. फिर शीर्ष पद पर पहुंचने के लिए प्रयास करना हर समझदार प्रशासनिक अफसर की समझदारी भी है. शायद यही वजह है कि लघु वनोपज संघ के एमडी बनते ही वह अपनी अलग पहचान बनाने में जुट गए. पहले उन्होंने मैदानी अफसरों के बीच अपनी इमेज built-up की. वन मंत्री विजय शाह के सुर में सुर मिला कर तो पहले से ही काम कर रहे थे किंतु अप्रैल 22 में तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन का आयोजन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और मुख्य सचिव इकबाल सिंह के बीच अपनी अलग पहचान भी बना ली. अंतरराष्ट्रीय वन मेले के पहले लघु वनोपज संघ के एमडी पुष्कर सिंह ने खंडवा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की उपस्थिति में बोनस वितरण करा कर एक बार फिर मुख्यमंत्री को खुश करने में कामयाब रहे. दिलचस्प पहलू यह है कि इस आयोजन में हॉफ पीसीसीएफ गुप्ता की उपस्थिति अनिवार्य थी किंतु वह नदारद दिखे. इसी प्रकार अंतरराष्ट्रीय वन मेले को लेकर वन मंत्री विजय शाह जब भोपाल के थ्री स्टार होटल में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे तब विभाग के मुखिया गुप्ता कान्हा नेशनल पार्क में वन्य प्राणी और पर्यावरण के बीच आनंद ले रहे थे.
मंत्री को खुश करने के लिए ही रवीना को बुलाया
सिने अभिनेत्री रवीना टंडन की छवि वन्य प्राणियों के साथ छेड़छाड़ करने की बनी हुई है. बावजूद इसके, की फरमाइश पूरी करने के लिए लव गणपत सिंह के एमडी पुष्कर सिंह ने 14 दिसंबर को एक पत्र लिखकर उसे वन मेले का मुख्य अतिथि बनाने के लिए एक पत्र लिखा. इस पत्र में पुष्कर सिंह ने स्वयं प्रमाण पत्र दे दिया कि रवीना टंडन ने बनाम पर्यावरण के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है. जबकि वन विभाग के वन्य प्राणी शाखा के शीर्ष अधिकारी से लेकर मैदानी अमले तक उन्हें वन्य प्राणियों से छेड़छाड़ के लिए आरोपी मानता आ रहा है. रवीना टंडन इसके पहले विवादों में रही हैं. इसके पहले जिम कार्बेट नेशनल पार्क और टाडोबा टाइगर रिजर्व में भी अभद्र व्यवहार की शिकायतें उनके नाम ही दर्ज हैं.
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