वनों की सुरक्षा में कर्मचारी डंडे के सहारे जंगल बचा रहे, अतिक्रमणकारियों के कब्जे से चिंतित वन प्रेमी

जंगल में हथियारबंद होकर माफिया द्वारा अतिक्रमण कराया जा रहा है लेकिन सरकारी मशीनरी इसे रोकने में अब तक नाकाम साबित हो रही है। वन विभाग से जुड़ी खोजपरक मैदानी व प्रशासनिक खबरों पर पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार गणेश पांडेय ने अपने ब्लॉग में इस समस्या पर चिंता जताई है और कहा है कि जंगल बचाने में लगे वनकर्मियों की सुरक्षा के प्रति कोई सोच नहीं दिखाई दे रही है। पेश है ब्लॉग में उनके क्या हैं विचार।

जंगल माफिया के सामने लाचार क्यों चुप है सरकार
प्रकृति में ताल मेल तभी है जब जंगल है।जंगल हम सबके है। हम तभी सुरक्षित रहेंगे ,जब जंगल बचेंगे।
बहुत दुख होता है जब कोई कर्मचारी जंगल को कटने से रोकने जाता है और डंडे और पत्थर खाकर लौटता है। रात में गस्त करता है और अगर कोई उसे पेड़ काट कर ले जाता नज़र आता है और वो उसे ललकारने की गलती कर देता है, तो कई बार बदले में उसे इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ता है ।
कई कर्मचारी शहीद हो चुके है ।
अतिक्रमणकारी और भूमाफ़िया के सामने जंगल बचाने वाले इतने लाचार क्यू है ?
क्यू उनको ललकारने सकने में वो ख़ुद को असमर्थ महसूस कर रहे है ?
एक नग सागौन, शीशम, चंदन की क्या क़ीमत होती है?
करोडो-अरबों की है ये वन संपदाए और इनकी सुरक्षा के लिए सर्फ एक डंडा लेकर सुरक्षा करता कर्मचारी।
जिसे डंडा भी चलाने की आजादी नहीं है, क्यूँकि जंगल की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता नहीं है।
एक पौधे को बड़ा होकर वृक्ष बनने में कितने साल लग जाते है और उसे काटने में सिर्फ़ कुछ घटे। मुख्यमंत्री जी, आप एक पौधा रोज लगा रहे हैं, उसके साथ ही कट रहे जंगलों को बचा ले तो उससे अधिक पुण्य प्राप्त होगा। क्यों माफिया के सामने चुप बैठे हैं आप?
इसे काट कर जंगल माफिया करोड़ों कमाता है क्यूँकि उसके पास हथियार है ताक़त है वो उसका फ़ायदा उठाता है।
वन कर्मचारी के पास इतने अधिकार नहीं है ,उसे ताक़त नहीं दी गई है ।
बंदूक़ लेकर लोग जब जंगल काट रहे होते है तो सिर्फ़ डंडा लहरा कर वो उसे कैसे रोकेंगे ?
हाथ जोड़ कर बोलेगा कि भैया आप गिरफ़्तार हो जाओ ?
क्यूँकि जंगल काट रहे हो ।
कन्तारा फ़िल्म देखी है आपने ?
वन विभाग और आदिवासी के बीच में कुछ ग़लत लोग भी होते है जो स्थिति को अलग दिशा देते है।
पेड़ काट कर जो जंगल साफ़ कर रहे है वो किसके शुभचिंतक होंगे ?

वन कर्मचारी सुदूर जंगल में रहते है ।
कितने कितने दिन परिवार के लोगो से उनकी मुलाक़ात नहीं होती है ।
आप जंगल जाते है जंगल घूमते है आपको सारी सुविधा मिलती है इसलिए जंगल खूबसूरत लगते है।
लेकिन धीरे धीरे जंगल ख़त्म हो रहे है। हम सब को कोशिश करनी है कि वो बच जाए।

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