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लोकायुक्त संगठन में 58 साल का रिकॉर्ड, जानिये सड़-गल चुके दस्तावेजों के हाल….

मध्य प्रदेश में लोकायुक्त संगठन में 58 साल का रिकॉर्ड सड़ और गल रहा है। इसे कुछ महीने पहले तक किसी भी लोकायुक्त या विशेष पुलिस स्थापना के शीर्षस्थ अधिकारियों ने देखा तक नहीं था। इस कारण ऐसे रिकॉर्ड को नष्ट करने के लिए कभी छांटा भी नहीं गया। जब इसे किसी ने देखा नहीं तो नष्ट करने के बारे में सोचा नहीं गया और सोचा नहीं गया तो फिर उसके नियम बनाने का सवाल ही नहीं खड़ा होता। जानिये भ्रष्टाचार की इस जांच एजेंसी में रिकॉर्ड को लेकर हमारी यह खास रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त संगठन का गठन 1984 में हुआ और इसमें आने वाली शिकायतों के लिए पुलिस अफसरों की टीम वाली विशेष पुलिस स्थापना को अधिकारों के साथ जिम्मेदारी दी गई थी। इसके पूर्व 1964 में मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता आयोग हुआ करता था और उसको समाप्त कर लोकायुक्त संगठन बनाया गया। आज के लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना में मध्य प्रदेश राज्य सतर्कता आयोग के समय से लेकर आज तक का रिकॉर्ड रखा है जिसमें से काफी रिकॉर्ड तो अनुपयोगी है। यह रिकॉर्ड इसलिए लोकायुक्त संगठन में है क्योंकि कुछ सप्ताह पहले तक इसे नष्ट करने के लिए किसी ने सोचा नहीं है। वहीं, केंद्र और राज्य के सरकारी मंत्रालयों व विभागों में पुराने अनुपयोगी रिकॉर्ड को नष्ट करने के नियम बने हैं और उनके मुताबिक समय-समय पर वहां रिकॉर्ड को नष्ट किया जाता रहता है।
जुलाई में पुराने रिकॉर्ड को नष्ट करने की फाइल चली
लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना के पुराने रिकॉर्ड को नष्ट करने की दिशा में जून-जुलाई में मशक्कत शुरू हुई और सीबीआई से लेकर राज्य सरकार के विभागों के रिकॉर्ड नष्ट करने के नियमों को खंगाला गया। इन नियमों के आधार पर विशेष पुलिस स्थापना के पुराने रिकॉर्ड को नष्ट करने के लिए नियमों को बनाने का काम शुरू हुआ। इसमें मुख्यालय से लेकर विशेष पुलिस स्थापना के संभागों व थाने के रिकॉर्ड को नष्ट करने के नियम बनाए गए और जुलाई में यह प्रक्रिया पूरी हुई।
चार महीने दबी रही नियमों की फाइल
लोकायुक्त संगठन में जिस तरह भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलें दबी रहती हैं, उसी तरह विशेष पुलिस स्थापना के पुराने रिकॉर्ड को नष्ट करने की फाइल पर भी चार महीने तक कोई प्रगति नहीं हुई। इस बीच विशेष पुलिस स्थापना की बिल्डिंग के रेनोवेशन का बजट आ जाने पर उसकी आवश्यकताओं के अनुरूप काम करने के लिए रिकॉर्ड को स्टोर में सुरक्षित जमा कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। रजिस्टर में बस्तों के रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए खोलना शुरू किए गए तो फाइलें सड़-गल जाने से तार-तार होने लगीं। इनकी फोटो उतारकर जिम्मेदार अधिकारियों तक फाइल में भेजा गया तो उनकी आंखें चौंधिया गईं। यह देखकर पुराने रिकॉर्ड की फाइल खंगाली गई और ताबड़तोड़ ढंग से उसे आगे बढ़ाया गया। मगर इसमें केवल मुख्यालय के रिकॉर्ड को नष्ट करने के एक हिस्से पर ही एक्शन हुआ तो दोबारा कार्रवाई शुरू हुई। मगर आज तक मुख्यालय के रिकॉर्ड के अलावा विशेष पुलिस स्थापना के संभागों व थाने के रिकॉर्ड पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
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