रिटायर्ड डीएसपी अशोक राणा को हाईकोर्ट में जीते

मध्य प्रदेश के एक रिटायर्ड डीएसपी अशोक राणा को नौ साल पहले एक डीपीसी में गलत तथ्यों के आधार पर पदोन्नति देने के मामले में हाईकोर्ट ने वेतनमान के समस्त लाभ देने का आदेश पारित किया है। इस मामले में डीपीसी के एक सदस्य ने मौखिक रूप से यह गलत जानकारी दी थी कि उनके खिलाफ एक कारण बताओ नोटिस जारी है और इसके आधार पर उनकी पदोन्नति का मामला लिफाफे में बंद कर दिया गया था।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा राज्य के कर्मचारियों को दस,बीस एवं तीस साल के निश्चित अन्तराल पर पदौन्नति ना मिलने की स्थिति में अगले पद का वेतनमान देने की नीति बनाई गई थी…जो वर्तमान में भी अस्तित्व में है । उप पुलिस अधीक्षक अजाक कटनी के पद पर पदस्थ याचिकाकर्ता अशोक राणा (तत्समय प्राप्त वेतनमान 5400 रु०) को 01 जुलाई 2014 से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद के वेतनमान 6600/- की पात्रता थी।उक्त तीसरे समयमान वेतनमान का लाभ प्रदान किए जाने हेतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जबलपुर की अध्यक्षता में विभागीय पदोन्नति समिति का गठन किया गया था। 06 जनवरी 2016 को काफ़ी विलंब से आयोजित मीटिंग में विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा सेवा अभिलेख के सूक्ष्म परीक्षण उपरांत उप पुलिस अधीक्षक अशोक राणा को 6600/- के वेतन मान के लिए पात्र पाया गया था।

पात्रता 01 जुलाई 2014 को याचिका कर्ता के विरूद्ध कोई भी विभागीय जांच या आपराधिक प्रकरण लंबित नहीं था परन्तु विभागीय पदोन्नति समिति के सदस्य यशपाल राजपूत द्वारा उपलब्ध कराई गई मौखिक व असत्य जानकारी के आधार पर याचिकाकर्ता के विरूद्ध शो कॉज नोटिस लंबित होना बताया जाकर विभागीय पदोन्नति समिति की अनुशंसाओं को लिफ़ाफ़े में सीलबंद कर दिया गया। विभागीय पदौन्नति समिति द्वारा अपनाई गई उक्त दूषित प्रक्रिया से व्यथित होकर याचिकाकर्ता द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर खण्डपीठ के समक्ष याचिका क्रमांक 1669/2018 प्रस्तुत की गई थी ।
याचिकाकर्ता अशोक राणा के विरूद्ध जारी शो कॉज नोटिस एवं पश्चात में आयोजित विभागीय जाँच के फलस्वरूप उसे दिए गए अमानवीय दण्ड को माननीय उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा याचिका क्रमांक 22687/18 की सुनवाई उपरांत 28 जून 2021 को निरस्त कर दिया गया था ।
माननीय एकल पीठ के उक्त निर्णय के विरूद्ध शासन द्वारा अपील याचिका क्रमांक 1699/2021 प्रस्तुत की गई थी जिसकी सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मुख्य न्यायाधीश रवि मालिमठ एवं विजय कुमार शुक्ला की युगल पीठ द्वारा 08 दिसंबर 2021 को शासन की अपील निरस्त करते हुए न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ द्वारा पारित निर्णय को यथावत रखा गया था।
याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत याचिका क्रमांक 1669/2018 की अन्तिम सुनवाई करते हुए 24 अगस्त 2022 को माननीय न्यायमूर्ति मनिन्दर एस. भट्टी की एकल पीठ द्वारा याचिकाकर्ता को 1 जुलाई 2014 तीसरे समयमान वेतन का लाभ बकाया राशि सहित प्रदान किए जाने हेतु निर्णय पारित किया गया है।

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