राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा जनजातीय भाषा व परंपरा को संरक्षित और संजोना होगा

साहित्य अकादमी और संगीत-नाटक अकादमी के आयोजन उन्मेष-उत्कर्ष में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने कहा कि देश में जनजातीय समुदाय की भाषा और परंपराओं को संरक्षित करने और संजोए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य लोगों को जोड़ता है और जुड़ता भी है। राष्ट्रपति मुर्मु ने मध्य प्रदेश की अपनी अब तक की यात्राओं को याद किया और आयोजन को मध्य प्रदेश में किए जाने के औचित्य को सही बताया। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपनी पांचवीं यात्रा बताई और कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे ज्यादा यात्राएं मध्य प्रदेश की हैं। सांस्कृतिक धरोहर की तरफ अभी देश में बहुत ध्यान दिया जा रहा है। भारत को इस साल जी 20 के आयोजन का मौका दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि रवींद्र नाथ टैगोर की कविता का जिक्र किया जिसमें साहित्य ही सत्य बताया गया। उन्होंने कहा कि साहित्य आईना दिखाता है। साहित्य ने मानवता को बचा रखा है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि साहित्य वह माध्यम से जिससे अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है।

भारत का एक-एक पत्थर शालिग्राम
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्मेष का अर्थ आंखों का खुलना और जागरण भी होता है। स्वतंत्रता संग्राम में साहित्यकारों ने अपनी भूमिका निभाई और उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति से स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति जाग्रत की। भारत का एक एक पत्थर भगवान शालिग्राम है और एक एक स्थान जगन्नाथपुरी है। साहित्य लोगों को जोड़ता भी है और जुड़ता भी है। मैं और मेरा से ऊपर उठकर लिखे जाने वाले साहित्य श्रेष्ठ होता है। एक भाषा की रचना को देश की अन्य भाषाओं में अनुवाद से साहित्य को सुदृष्टता मिलेगी।

जनजातीय समुदाय मप्र में ज्यादा और यहां आयोजन उचित
जनजातीय की भाषा और परंपरा को संरक्षण और संजोकर रखना होगा। भारत की सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी मध्य प्रदेश में रहती है। इसलिए यहां ऐसा आयोजन करना उचित है। छत्तीसगढ़ की तीजनबाई का सम्मान किया गया यह जनजातीय महिलाओं का सम्मान है। जनजातीय समुदाय के लोगों की भागीदारी बनाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने भारत की विशेषताएं गिनाईं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे यहां जब वेद और रिचाएं रच दी गई थीं, तब दुनिया में कोई सोचना नहीं सकता था। यह वह धरती है जो सबको साथ लेकर चलता है। उन्मेष और उत्कर्ष जैसे आयोजन सारी दुनिया को एक करने में सक्षम होते हैं। मध्य प्रदेश साहित्यकारों व कलाकारों की धरती रही है। यहां कला-संस्कृति के राजार्षय की परंपरा रही है। राजा भोज, अहिल्याबाई जैसे शासक इसके उदाहरण हैं। उन्होंने प्रदेश को साहित्यिक पहचान देने वाले वाले साहित्यकारों के बारे में भी विचार रखे। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

भोपाल में जुटे 103 भाषाओं के 575 लेखक शामिल
साहित्य अकादमी और संगीत-नाटक अकादमी के आयोजन उन्मेष और उत्कर्ष उत्सव में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। साहित्य अकादमी की ओर से बताया गया कि उन्मेष के आयोजन अब तक 100 से ज्यादा भाषाओं में हो चुके हैं। पहला साहित्यिक आयोजन हिमाचल प्रदेश में हुआ था जिसमें 400 लेखकों ने भाग लिया था। दूसरा आज भोपाल में हो रहा है जिसमें 103 भाषाओं के 575 लेखक भाग ले रहे हैं। भोपाल में देशभर के 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के जनजाति व लोक कलाकार ने भाग लिया। उन्मेष और उत्कर्ष के तहत पिछले मार्च 2021 के बाद से घर-घर तिरंगा फहराए जाने और राष्ट्रगान के गायन के रिकॉर्ड बने हैं। घर-घर तिरंगा में 23 करोड़ घरों में राष्ट्रध्वज फहराया गया था। साहित्य अकादमी के अमृतकाल में हर घंटे में एक पुस्तक का प्रकाशन होता है। साहित्य अकादमी का 1954 में गठन हुआ और पहला पुरस्कार 1955 में दिया गया जो कि मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी को दिया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today