रायसेन के फॉरेस्ट वर्किंग प्लान नहीं बना, हो सकता है 30 करोड़ का नुकसान, अभी वेतन-आगे प्रमोशन रुकेगा….

रायसेन जिले का फॉरेस्ट का वर्किंग प्लान आज तक नहीं बना है जबकि छह महीने पहले यह जमा हो जाना था। अब वर्किंग प्लान के लिए जिम्मेदार अपर सचिव अशोक कुमार पर सरकार की गाज गिरने वाली है। उनका वेतन रोकने की सिफारिश की गई है। उनकी इस चूक से वन विभाग को 30 करोड़ का नुकसान हो सकता है। वर्किंग प्लान नहीं बनाने पर एक आईएफएस का प्रमोशन तक रुक चुका है। यह दूसरा मामला होगा जिसमें वर्किंग प्लान नहीं बनाने पर वन अधिकारी को सजा मिलेगी। आईए जानिये क्या है पूरा मामला।

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक क्षेत्रीय वर्किंग प्लान भोपाल श्रीमती कोमिलिका मोहन्ता ने वर्किंग प्लान ऑफिसर सागर अशोक कुमार का वेतन रोकने की सिफारिश की है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि कुमार को अगस्त 22 तक रायसेन वर्किंग प्लान चैप्टर लिखकर किताब जमा करनी थी। आज दिनांक तक जमा नहीं की गई है। यानी वर्किंग प्लान नहीं लिखने की वजह से उनका वेतन रोकने के साथ अन्य सुविधाओं से भी वंचित करने की सिफारिश की है।
दोहरी जिम्मेदारी लेकर वर्किंग प्लान को भूले
उल्लेखनीय है कि अपर सचिव वन अशोक कुमार की पदस्थापना मंत्रालय में की गई है। वर्किंग प्लान लिखने वाले अधिकारियों की सूची में अपना नाम दर्ज कराने की मंशा से कुमार अपर सचिव की पदस्थापना के साथ ही रायसेन वर्किंग प्लान लिखने की जिम्मेदारी भी ले ली, हालांकि तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वर्किंग प्लान राजेश कुमार ने फरवरी 22 में ही नोटशीट लिखकर उन्हें वर्किंग प्लान अफसर और अपर सचिव दोनों जिम्मेदारी नहीं निभा पाने के लिए आगाह किया था। उनसे यह भी कहा गया था कि राज्य शासन की जिम्मेदारियां निभाते हुए वर्किंग प्लान लिखने की जिम्मेदारी नहीं निभा सकते हैं चूंकि रायसेन वर्किंग प्लान के नाम पर उन्हें केवल चैप्टर ही लिखना था। वे रायसेन वर्किंग प्लान की किताब अपना नाम दर्ज कराना चाहते थे परंतु उनकी यही चाहत अब परेशानियों का सबब बनता जा रहा है। राज्य शासन में दायित्व निभाते-निभाते कुमार वर्किंग प्लान चैप्टर लिखना भूल गए। अब उन पर गाज गिरने की बारी आ गई। वर्किंग प्लान नहीं लिखने पर उनका प्रमोशन भी रुक सकता है। पूर्व में स्वर्गीय देवेश कोहली के साथ ऐसा ही हुआ था। वर्किंग प्लान नहीं लिखने के कारण वे डीएफओ के आगे प्रमोट नहीं हो पाए थे।
सीसीएफ सागर ने भी की है शिकायत
रायसेन वर्किंग प्लान बनाने के लिए उनकी पदस्थापना डब्ल्यूपीओ ( कार्य योजना ऑफिस) सागर में कर दी गई थी। डब्ल्यूपीओ की हैसियत से कुमार ने वाहन और अन्य सुविधाएं हासिल की किंतु पदस्थापना के बाद से लगातार कार्यालय से नदारद रहे। ऐसी शिकायत जीसीएफ सागर ने की है. सीसीएफ सागर ने वन बल प्रमुख आरके गुप्ता को संदेश में उल्लेख किया है कि वर्किंग प्लान ऑफिसर कुमार के सागर मुख्यालय में लगातार गैरहाजिर रहने की वजह से कर्मचारियों से संबंधित मामले लंबे समय से लंबित है।
30 करोड़ की हो सकती है राजस्व हानि
रायसेन वर्किंग प्लान में विलंब होने की वजह से अगले वर्ष कटाई नहीं हो पाएगी। इसके कारण राजस्व खजाने में 30 करोड़ नुकसानी हो सकती है। इस नुकसानी के लिए किसकी जिम्मेदारी तय होगी यह अभी भविष्य के गर्भ में है। दिलचस्प पहलू यह है कि वन विभाग ने जब वर्किंग कान की पदस्थापना का आदेश नहीं मानने पर हरिशंकर मिश्रा को निलंबित किया था तब निलंबन आदेश में स्पष्ट उल्लेख था कि वर्किंग प्लान बनाने में विलंब होने की वजह से राजस्व हानि होगी। वैसे एक सेवानिवृत्त वन बल प्रमुख का कहना था कि जब राज्य शासन में अशोक कुमार को अपर सचिव के पद पर पदस्थ किया जा रहा था तभी विभाग के मुखिया को यह सोचना था कि कुमार कैसे वर्किंग प्लान का चैप्टर लिख पाएंगे।

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