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रायपुर में शुक्रवार से हो रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस की वर्किंग कमेटी का गठन भी होना है जिसके लिए मध्य प्रदेश से कमलनाथ-दिग्विजय सिंह के नाम शामिल होने की पूरी संभावना है। हाल ही में दिग्विजय सिंह के एक बयान ने यह संकेत दे दिए हैं। यह बयान वही है जिसको लेकर कांग्रेस में एक पखवाड़े से नेताओं के बीच कशमकश पूर्ण रिश्ते चल रहे थे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सबसे महत्वपूर्ण संस्था वर्किंग कमेटी होती है और मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद हो रहे रायपुर अधिवेशन में इसका गठन होना है। आमतौर से यह होता आया है कि वर्किंग कमेटी के 11 सदस्यों का चुनाव सभी की सहमति से एक लाइन के प्रस्ताव के साथ हो जाता है जिसमें अध्यक्ष पर फैसला छोड़ दिया जाता है। मध्य प्रदेश से वर्किंग कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ या राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह के नाम की चर्चा है। मौजूदा परिस्थितियों में मध्य प्रदेश से किसी एक नेता को वर्किंग कमेटी में स्थान मिलने की संभावना जताई जा रही है।
चुनाव की परिस्थिति में भी नाथ-दिग्विजय मजबूत
अगर वर्किंग कमेटी के सदस्यों के लिए इस बार चुनाव होता है तो फिर एआईसीसी के मनोनीत प्रतिनिधियों को छोड़कर अन्य इसमें भाग लेंगे। मध्य प्रदेश से ऐसे एआईसीसी डेलीगेट्स की संख्या 71 है जिसमें करीब 30 कमलनाथ समर्थक हैं और करीब एक दर्जन दिग्विजय सिंह समर्थक माने जा सकते हैं। देशभर में भी इन दोनों नेताओं की पार्टी संगठन में अच्छी पकड़ है तो वहां भी उन्हें अच्छा समर्थन मिल सकता है। लेकिन वर्किंग कमेटी के लिए चुनाव की स्थिति बनने की संभावना बहुत कम बताई जा रही है।

दिग्विजय सिंह के बयान से बदल सकते हैं समीकरण
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका में कमलनाथ पूरी तरह से यहां फोकस रखना चाहते हैं। इसी वजह से उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष बनााए जाने के प्रस्ताव को पिछले साल नहीं माना था। मगर कमलनाथ को लेकर नए साल में प्रदेश के चलाए गए भावी मुख्यमंत्री अभियान से उनके विरोधियों की नाराजगी सामने आई थी। प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल हो या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव या पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल, कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी, सभी ने सीएम चयन की कांग्रेस की परंपरा व सिस्टम की बातें कही थीं। हाल ही में दिग्विजय सिंह ने एक टीवी चैनल से चर्चा में अप्रत्यक्ष रूप से कमलनाथ के सीएम चेहरे की बात कही तो इसके पीछे रायपुर अधिवेशन में होने वाले कुछ फैसलों का प्रतिबिंब दिखाई दिया। सीएम चेहरा कमलनाथ हो जाएंगे तो दिग्विजय सिंह के वर्किंग कमेटी में जाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

मौजूदा हालात में मध्य प्रदेश के नेता दिल्ली में कमजोर
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में एक समय मध्य प्रदेश के नेताओं की मजबूत पकड़ थी। अविभाजित मध्य प्रदेश के समय अर्जुनसिंह, मोतीलाल वोरा, माधवराव सिंधिया, शुक्लबंधु से लेकर मौजूदा नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी का प्रतिनिधित्व दिल्ली में रहा। ये नेता एआईसीसी की तमाम प्रमुख कमेटियों में स्थान पाते रहे हैं लेकिन कुछ सालों से परिस्थितियां बदली हैं। पचौरी जहां एआईसीसी में कमजोर पड़ते नजर आने लगे हैं तो दिग्विजय सिंह भी मध्य प्रदेश से सरकार जाने के बाद जिस तरह केंद्रीय नेतृत्व के निकट पहुंचे थे उसी तेजी से उनकी दूरी बनी थी। दिग्विजय सिंह के देश में पार्टी के संगठन में पकड़ होने की वजह से आज भी अपना पुराना स्थान पाने लगे हैं। उन्हें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने हाईकमान के और नजदीक कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दौरान खड़गे के नाम के पहले नामांकन पत्र भरने की उनकी तैयारियों का घटनाक्रम और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर उनकी गलत टाइमिंग की बयानबाजी उनके वर्किंग कमेटी तक पहुंचने के रास्ते में कांटा बन सकता है।
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