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राजनीति में घटनाक्रम के समय के मायने, मध्य प्रदेश में फिर भाजपा का दांव भारी पड़ा

कहते हैं कि राजनीतिक दलों के फैसलों में तो समय का ध्यान रखा ही जाता है लेकिन जो घटनाक्रम होते रहते हैं उनमें भी समय का बड़ा महत्व होता है। इसमें कई घटनाक्रम राजनीतिक दलों के कुशल रणनीति को भी दर्शाते हैं। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से भाजपा ने कुछ फैसलों और घटनाक्रमों के समय के मामले में कांग्रेस को मात दी है। चाहे वह कोरोना महामारी की दस्तक के कुछ दिन पहले सत्ता परिवर्तन, लोकसभा उपचुनाव में विधायक को अपने पक्ष में लाने, नगरीय निकाय चुनाव के पहले एक पूर्व विधायक के पार्टी से इस्तीफा देने और अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के ऐन पहले कांग्रेस के एक विधायक को उनकी ही पत्नी के माध्यम दुष्कर्म-अप्राकृतिक कृत्य के मामले में फंस जाने के घटनाक्रमों से कांग्रेस ढाई साल में लगातार कमजोर नजर आई है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अक्सर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहते रहते हैं कि उनका सामना भाजपा के संगठन से है और उसके लिए संगठन को मजबूत करने के लिए वे लगातार काम करते रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब तमाम गतिविधियों पर पाबंदी थी तो उनके निवास पर कोर कमेटी के साथ बैठकर वे संगठन की मजबूती की रणनीति बनाते रहते थे। प्रदेश-जिला कमेटियों के पदाधिकारियों के साथ भी इसी तरह की बैठकें कीं लेकिन जब भाजपा को मौका लगा उसने कांग्रेस की रणनीति को मात दी है।
कोरोना की आहट पर पहला झटका
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने के सवा साल बाद कांग्रेस को ऐसी मात दी कि आज तक वह उससे उबर नहीं सकी है। कोरोना की आहट हुई थी और तब भाजपा ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह का फायदा उठाने के लिए उनके मजबूत स्तंभ ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ लिया। एकसाथ 22 विधायकों को अपने पाले में कर सरकार को गिरा दिया और उसी दौरान कोरोना महामारी घोषित हो गई। कोरोना कर्फ्यू लगाकर तमाम गतिविधियों को रोक दिया गया। इससे सत्ता परिवर्तन का जो शोर-शराबा था, वह कोरोना महामारी की दहशत के साये में दब गया।
लोकसभा उपचुनाव में चौंकाया
खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को दूसरी बार चौंकाया और उसने मतदान के कुछ दिन पहले संसदीय क्षेत्र के एक कांग्रेस विधायक सचिन बिरला को अपने पाले में कर लिया। मगर इस बार भाजपा ने उसका दलबदल नहीं कराया और आज तक उस विधायक की दलीय स्थिति पर कांग्रेस कोई फैसला नहीं करा सकी है।
नगरीय निकाय चुनावों में रणनीति की मार
नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को भाजपा ने रणनीति रूप से मात दी जो सबसे ज्यादा सागर जिले में दिखाई दी। यहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सबसे विश्वस्त पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफा दे दिया। जिले में पार्टी को प्रत्याशी मिलना तक मुश्किल हो गया और कई जगह भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत गए।
भारत जोड़ो यात्रा के पहले बड़ा झटका
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में जिस ढंग से निकली, उसे मध्य प्रदेश की सीमा में आने से पहले कहा जा रहा था कि भाजपा तगड़ा झटका देगी और कोई बड़ा नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होगा। मगर इस बार भाजपा ने कांग्रेस के चरित्र पर चोट पहुंचाई और राहुल गांधी की यात्रा के पहुंचने के ठीक पहले का समय चुना गया। पूर्व मंत्री व विधायक उमंग सिंघार पर उनकी ही पत्नी के साथ दुष्कर्म-अप्राकृतिक कृत्य व दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया। हालांकि सिंघार सफाई दे रहे हैं और कह रहे हैं कि उनकी राजनीतिक हत्या का षड़यंत्र किया गया है। देखना यह है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में रहने तक कांग्रेस को इस तरह का दूसरा कोई झटका भाजपा देती है या खामोशी से इस जख्म के दर्द को देखती रहेगी।
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