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राजनीतिक तिकड़मबाजी में बनाए इंदौर शहर अध्यक्ष का घंटेभर रहा कार्यकाल, ऐसे चला घटनाक्रम

मध्य प्रदेश कांग्रेस में चुनावी वर्ष के दौरान कार्यकारिणी के गठन और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में राजनीतिक तिकड़मबाजी भी चली जिसके चलते इंदौर के शहर अध्यक्ष पद पर हुई नियुक्ति विवाद में उलझ गई है। नवनियुक्त अध्यक्ष ने जल्दबाजी में आज कार्यभार लिया लेकिन घंटेभर भी उनका कार्यकाल नहीं रहा और पार्टी के प्रदेश प्रभारी का एक आदेश पहुंच गया। आपको बता रहे हैं कैसे चला घटनाक्रम।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने लंबे समय से विचाराधीन रविवार की रात को ताबड़तोड़ ढंग से जारी किया गया लेकिन काफी समय तक रोके जाने के बाद भी इसका परीक्षण नहीं हो पाया। इसके चलते शिकायतें और असंतोष के स्वर उभरने लगे हैं। कार्यकारिणी में जहां वरिष्ठों को महासचिव तो जूनियरों को उपाध्यक्ष बना विवाद बड़ा तो निर्णय से पीछे हटा हाईकमान
इंदौर जिले के शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल को हटाकर अरविंद बागड़ी को जिम्मेदारी दी गई लेकिन इसके पीछे के घटनाक्रम में एक बड़े नेता का नाम आने और हाईकमान तक शिकायतें पहुंचने से नया मोड़ आ गया है। बाकलीवाल कमलनाथ समर्थक बताए जाते हैं जबकि बागड़ी पचौरी के समर्थक हैं। पिछले दिनों भारत जोड़ो यात्रा के एक घटनाक्रम को आधार बनाकर कांग्रेस के बड़े नेता ने पर्दे के पीछे से राजनीतिक दांव खेला और बाकलीवाल को हटाने की भूमिका बांधी। इस बीच जिला अध्यक्षों को बदले जाने की कवायद शुरू हुई और बाकलीवाल का विकल्प तलाशा गया तो बागड़ी का नाम आ गया। मगर एआईसीसी के जिला अध्यक्षों की सूची में बागड़ी का नाम जैसे ही शामिल किया तो इंदौर के कांग्रेस नेताओं का समूह भोपाल पहुंच गया। कमलनाथ के बंगले पर इन नेताओं ने नियुक्ति पर आपत्ति दर्ज कराई और हाईकमान तक भी अपनी बात पहुंचाई। इस बीच बागड़ी ने इंदौर में जिला अध्यक्ष पद का प्रभार ले लिया लेकिन एक घंटे बाद ही उनकी नियुक्ति को रोक दिया गया। प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल ने दो लाइन की चिट्ठी जारी कर नियुक्ति को होल्ड पर डाल दिया।
कुछ ऐसे ही जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर हो सकता है बवाल
एआईसीसी द्वारा जिन 64 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की गई है, उनमें से भी कुछ का नाता विवादों से है। शहडोल के जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता के खिलाफ आदिवासी की जमीन की खरीद-फरोख्त का मामला विवाद में बना हुआ है लेकिन पार्टी ने उन्हें यह जिम्मेदारी फिर दे दी है। सतना के मकसूद अहमद करीब दो दशक से जिला अध्यक्ष बने हुए हैं तो सागर के राजकुमार पचौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि कमजोर बताई जा रही है। भाजपा के कद्दावर नेताओं गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत, भूपेंद्र सिंह के गृह जिले सागर में पचौरी व लंबे समय से शांत बैठे पूर्व सांसद आनंद अहिरवार जैसे नेता को जिम्मेदारी दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। छतरपुर जिले में विधायक जिला अध्यक्ष को हटाने की मुहिम चलाए हुए हैं जबकि वे संगठन में खासी पकड़ रखे हैं। पन्ना जिले की शारदा पाठक के खिलाफ स्थानीय स्तर पर माहौल है।
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