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राजधानी में नीलम पार्क में हुआ प्रदर्शन-हड़ताली सभा
सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन्स, विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों और सेवा प्रतिष्ठानों के स्वतंत्र फेडरेशनों के संयुक्त मंच के साथ किसान, महिला, छात्र, नौजवान और अन्य संगठनों के आह्वान पर आज 7 सूत्रीय मांग पत्र के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में 26 नवम्बर 2020 के देशव्यापी आम हड़ताल की कार्रवाई पूरे प्रदेश में व्यापक सफल रही। राजधानी में नीलम पार्क से संयुक्त कार्यक्रम किया गया।
सभी घटक संगठनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी, सेवा तथा बैंक, बीमा, बीएसएनएल, राज्य व केन्द्रीय कर्मचारियों के महासंघो ने बताया कि इस हड़ताल में प्रदेश के 12 से 15 लाख श्रमिक व कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। कोयला के तीनो क्षेत्र, डब्लूसीएल-एसईसीएल-एनसीएल के कर्मी, सीमेंट, आंगनवाडी, आशा-उषा, मध्यन्ह भोजन कर्मी, दवा प्रतिनिधि, हम्माल-पल्लेदार, बैंक, बीमा, रक्षा उत्पादन, केन्द्रीय कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी, निर्माण श्रमिक आदि ने पूरे प्रदेश में हड़ताल कर रैलियाँ निकाल प्रदर्शन किया। प्रदेश के 20 जिलों में बस चालको-परिचालकों ने हड़ताल की जिससे बसों का आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ। राज्य कर्माचारियों ने प्रदेश भर में धरना व प्रदर्शन किए। बिजली कर्मियों ने भी प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए। ।
राजधानी में इस मौके पर कोविद की पाबंदियों के तहत उचित नियम पालन कर नीलम पार्क में जमावड़ा हुआ व प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर मोर्चा के नेताओं इंटक के रामराज तिवारी , एटक प्रदेश अतिरिक्त महासचिव एस एस मौर्या, सीटू राज्य महासचिव प्रमोद प्रधान, एआईयूटीयूसी प्रदेश अध्यक्ष जे सी बरई, बैंक के नेता वी के शर्मा, केंद्रीय कर्मचारी नेता यशवंत पुरोहित, आंगनवाड़ी कर्मियों की नेता हाज़रा काजमी, आशा कर्मियों की नेता आरती शर्मा ने श्रमिकों ने संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन के 7 सूत्री मांगपत्र को नारो को उठाते हुए सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया। इन मांगों में सभी गैर आयकर दाता परिवारों के लिए प्रति माह 7500 रुपये का नकद हस्तांतरण किए जाने, सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो मुफ्त राशन दिये जाने, ग्रामीण क्षेत्रों में एक साल में 200 दिनों के काम को बढ़ाने, मनरेगा का विस्तार तथा शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी का विस्तार किये जाने, सभी किसान विरोधी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लिए जाने, बीमा व बैंक समेत वित्तीय क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को रोकने, कोयला खदानों की नीलामी, रेलवे, आयुध कारखानों, बंदरगाह आदि जैसे सरकारी विनिर्माण उपक्रम और सेवा संस्थाओं के कार्पोरेटीकरण को बंद करने, सरकार और पीएसयू कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति के क्रूरतापूर्ण सर्कुलर को वापस लेने, सभी को पेंशन, नई पेंशन योजना(एनपीएस) का खात्मा और पहले की पेंशन की बहाली, ईपीएस -95 में सुधार जैसी मांगे है। वक्ताओं ने इन नीतियों के खिलाफ जारी संघर्ष को कुचलने के लिये मेहनतकश जनता मे साम्प्रदायिक विभाजन के प्रयासों की तीखी निन्दा की । उन्होने दिल्ली के आसपास किसानों पर हो रहे दमन की तीखी आलोचना की।
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