राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी निशा बांगरे नौकरी से इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने के खिलाफ न्याय यात्रा पर निकली हैं और वे बैतूल के आमला से शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह ग्राम जैत पहुंच गई है। आमला से जैत पहुंचते-पहुंचते बांगरे को स्थानीय लोगों का समर्थन मिलते-मिलते अब आदिवासी समाज भी उनके साथ-साथ यात्रा पर निकल गया है। पढ़िये रिपोर्ट।
फिलहाल छतरपुर जिले की एसडीएम निशा बांगरे ने इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया था और तब वे सुर्खियों में आईं। इसके बाद उनके बैतूल जिले में गृह प्रवेश कार्यक्रम को लेकर वे चर्चा में आईं क्योंकि तब उन्होंने राज्य शासन द्वारा गृह प्रवेश कार्यक्रम के लिए अवकाश देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने का पूरी तरह से मन बना लिया और सामान्य प्रशासन विभाग को इस्तीफा भेज दिया जिसे राज्य शासन ने स्वीकार नहीं किया। वे इसके खिलाफ कोर्ट गईं जहां से इस्तीफे का निराकरण करने का आदेश होने के बाद भी आज तक उसे स्वीकार नहीं किए जाने और राज्य शासन की मंशा पर सवाल उठाते हुए बांगरे ने आमला से 335 किलोमीटर की भोपाल तक की न्याय यात्रा शुरू की है। मुख्यमंत्री के गृह ग्राम जैत में नर्मदा नदी के तट पर पूजा निशा बांगरे आज अपनी न्याय यात्रा में साथियों और आदिवासी समाज के लोगों के साथ मुख्यमंत्री के गृह ग्राम जैत पहुंची। वहां उन्होंने नर्मदा नदी के तट पर पूजा अर्चना की। इस दौरान उनके साथ कई आदिवासी समाज के लोग भी थे तो अनुसूचित जाति के लोग भी उनकी न्याय यात्रा के सहयात्री के रूप में मौजूद थे। जय भीम और आदिवासी समाज के नारे बुलंद करते हुए बांगरे की न्याय यात्रा में ये लोग कदमताल करते हुए नजर आए।
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