मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज अपनी जापान यात्रा के अंतिम दिन हिरोशिमा पीस मेमोरियल पहुँचे। वहाँ उन्होंने दूसरे विश्व-युद्ध के दौरान परमाणु बम हमले में मृतकों को पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने विजिटर बुक में लिखा कि हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराये जाने के बाद हुए महा-विनाश के बारे में पढ़ा तो था, लेकिन उस भयावहता को पहली बार महसूस किया। मन पीड़ा व दर्द से भर गया। प्रभुत्व की प्रतिस्पर्धा और विकास की अंधी दौड़ ने मनुष्य को कितना क्रूर और अमानवीय बना दिया है। फिर कोई शहर हिरोशिमा न बने, यह संकल्प लेने की आवश्यकता है। दुनिया गंभीरता से विचार कर फैसला करे।
अपनी टिप्पणी में मुख्यमंत्री ने लिखा कि मनुष्य और सृष्टि को विनाश और हिंसा से भगवान बुद्ध और गाँधीजी की दिखायी राह बचा सकती है। एक ही चेतना सम्पूर्ण प्राणियों में है, यह सोच मानवता को बचा सकती है। भारत की यह
सोच दुनिया को शांति के पथ की ओर ले जा सकती है। टिप्पणी के अंत में श्री चौहान ने सबके निरोगी होने, मंगल होने और कल्याण होने की कामना की।
हिरोशिमा पीस मेमोरियल
हिरोशिमा पीस मेमोरियल को हिरोशिमा में आम बोलचाल की भाषा में एटॉमिक बम डोम या जेनबकू डोमू कहा जाता है। यह हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क का एक भाग है। इसे यूनेस्को द्वारा 1996 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह स्मारक उन लोगों की याद में बनाया गया है जो 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा में एटम बम गिराये जाने से मारे गये थे। इस हमले में 70,000 से ज्यादा लोग मारे गये और बम के रेडिएशन से लगभग 70,000 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
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