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महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का निधन हो गया।
महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का अमेरिका के एरिज़ोना प्रांत की राजधानी फिनिक्स के एक अस्पताल में कल निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे। उन्हें सांस की तकलीफ के कारण दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे लंबे अर्से से पारकिंसंस बीमारी से जूझ रहे थे। 1960 से शुरू हुआ मोहम्मद अली का करियर 1981 तक चला। रिंग में अपने प्रदर्शन से प्रशंसकों को चकित देने वाले मोहम्मद अली ने रिंग से बाहर भी प्रशंसकों को प्रभावित किया।
वियतनाम युद्ध का विरोध करने पर कई वर्षों के लिए अली के खेल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नागरिक अधिकार मुद्दे पर मुखर होने के कारण इन्हें कुछ वर्गों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा। इसके बावजूद इन्होंने अपने लिए दर्जनों सम्मान हासिल किए। मोहम्मद अली को 1996 में अटलांटा ओलिंपिक खेलों की मशाल प्रज्ज्वलित करने का अवसर मिला। एक श्रद्धांजलि
अमरीका में केंटुकी प्रांत के लोइस्विले में 17 जनवरी, 1942 में जन्में महानतम मुक्केबाजों में से एक मोहम्मद अली ने बचपन में ही अपनी निर्भीकता का परिचय देना शुरू कर दिया था। 1954 में मोहम्मद अली ने पहली बाउट जीती। अली ने लाइट हैवीवेट श्रेणी की पहली बाउट गोल्डन ग्लोबस टूर्नामेंट में 1956 में जीती। तीन साल बाद वे एमैच्योर एथलेटिक एसोसिएशन का नेशनल टाइटल भी जीत गए। छह फीट तीन इंच लंबे अली जब मुकाबले के लिए रिंग में उतरते थे तो प्रतिद्वंदी मुक्केबाज के दिल में भय की लहर दौड़ जाती थी। 1974 में उन्होंने विश्व हैवीवेट का खिताब हासिल किया। विकासशील देशों में किए गए उनके कार्यों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1998 में उन्हें अपना शांतिदूत बनाया। सन् 2005 में अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अली को प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम प्रदान किया। मोहम्मद अली अब हमारे बीच में नहीं रहें।
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