मध्य प्रदेश में अभी इकबाल रहेगा बुलंद, जानिये दौड़ में शामिल तीन बैच के अफसरों के गुणा-भाग

मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के लिए चल रहे चर्चाएं के बीच यह लगभग साफ हो गया है कि रिटायरमेंट के बाद इकबाल सिंह बैंस को एकबार एक्सटेंशन दिया जाएगा। मगर यह तय नहीं हो सका है कि विधानसभा चुनाव भी उनके कार्यकाल में होंगे या इसके पूर्व उनका रिटायरमेंट हो जाएगा। यह भी संभावना है कि अनुराग जैन विधानसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी बना दिए जाएं।

मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव के लिए तीन बैच के अधिकारी हैं। हालांकि इन तीन बैच में 11 अधिकारी हैं। इन 11 में से तीन अधिकारियों को चीफ सेक्रेटरी की दौड़ में माना जाता रहा है। 1987, 1988, 1989 बैच के इन 11 अधिकारियों में सबसे ज्यादा समय 1989 बैच के अनुराग जैन और जेएन कंसोटिया के पास है। ये दोनों ही अधिकारी अगस्त 2025 में रिटायर होंगे। इकबाल सिंह बैंस को छह महीने का एक्सटेंशन मिलने पर अगर किसी दूसरे अधिकारी को चीफ सेक्रेटरी बनाया जाता है तो अनुराग जैन व कंसोटिया ही ऐसे दो अधिकारी हैं जिनके पास मुख्य सचिव के लिए निर्धारित दो साल की अवधि मिल सकेगी। अन्यथा दूसरे अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद अतिरिक्त समय देना होगा। वैसे चीफ सेक्रेटरी के लिए दो साल की नियुक्ति अवधि होती है और ऐसे में जिसे भी अभी या छह महीने बाद चीफ सेक्रेटरी बनाया जाता है तो विधानसभा चुनाव-लोकसभा चुनाव में नए आईएएस अधिकारी को तलाशने की जरूरत नहीं होगी।
तीन बैच के अधिकारियों के नाम व उनके पास मौजूद सेवाकाल की स्थितिः
1987 बैचः
संजय कुमार सिंह-
अभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2022 में है। अतः उनके चीफ सेक्रेटरी बनने की संभावना नगण्य है।
अजय तिर्की- अभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2023 है। उनके चीफ सेक्रेटरी बनने के बाद विधानसभा चुनाव तो वे करा लेंगे लेकिन लोकसभा चुनाव कराने के लिए उन्हें भी अतिरिक्त कार्यकाल की जरूरत है।
संजय बंदोपाध्याय- अभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनका रिटायरमेंट अगस्त 2024 तक है। उनके पास इतना समय है कि वे चीफ सेक्रेटरी बनने पर विधानसभा व लोकसभा चुनाव दोनों करा लेंगे लेकिन दो साल की चीफ सेक्रेटरी की निर्धारित अवधि पूरी करने के लिए उन्हें अतिरिक्त समय देना होगा।
1988 बैचः
शैलेंद्र सिंह- अभी वे अपर मुख्य सचिव हैं और एपीसी के रूप में पदस्थ हैं। उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2022 है और उनके चीफ सेक्रेटरी बनने की संभावना नगण्य हैं।
वीरा राणा- अभी वे माध्यमिक शिक्षा मंडल में अध्यक्ष हैं और उनका रिटायरमेंट मार्च 2023 है। उनके पास जितना समय है, उसे देखते हुए उनकी भी चीफ सेक्रेटरी बनने की उम्मीद बेहद कम है।
1989 बैचः
अनुराग जैन- वे अभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनका रिटायरमेंट अगस्त 2025 में हैं। उनकी चीफ सेक्रेटरी बनने की सबसे ज्यादा संभावना है क्योंकि अभी या छह महीने बाद भी उन्हें मौका दिए जाने पर विधानसभा व लोकसभा चुनाव में किसी नए चीफ सेक्रेटरी की तलाश नहीं करना होगी। उनके पास लोकसभा चुनाव करने के बाद भी एक साल से ज्यादा का समय बचेगा।
मोहम्मद सुलेमान- अभी स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं और उनका रिटायरमेंट जुलाई 2025 है। उनके पास भी पर्याप्त सेवाकाल है जिससे उनके भी चीफ सेक्रेटरी बनाए जाने में कोई प्रशासनिक दिक्कत नहीं होगी। सुलेमान को भाजपा सरकार में यह मौका दिए जाने पर राजनीति फायदे-नुकसान भी देखे जा सकते हैं।
आशीष उपाध्याय- अभी वे केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं और उनका रिटायरमेंट सितंबर 2024 में है। उनके चीफ सेक्रेटरी बनने की स्थिति में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद भी उनका कार्यकाल रहेगा लेकिन दो साल की मुख्य सचिव की निर्धारित अवधि के लिए उन्हें अतिरिक्त समय देना होगा।
राजीव रंजन- वे अभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति में हैं औऱ उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2023 में है। उनके पास विधानसभा व लोकसभा चुनाव कराने तक का समय तो है लेकिन उन्हें भी चीफ सेक्रेटरी बनाए जाने के लिए निर्धारित दो साल की सेवाकाल अवधि के लिए सरकार को रिटायरमेंट के बाद अतिरिक्त समय देना होगा।
विनोद कुमार- अभी अपर मुख्य सचिव हैं औऱ उनका रिटायरमेंट मई 2025 तक है। उन्हें भी चीफ सेक्रेटरी बनाए जाने में किसी प्रकार की समय की कमी की परेशानी नहीं है। अभी या छह महीने बाद भी उन्हें चीफ सेक्रेटरी बनाया जाता है तो उनके पास दो साल का सेवाकाल है। मगर उन्हें चीफ सेक्रेटरी बनाए जाने में राजनीतिक इच्छा दिखाई नहीं दे रही है।
जेएन कंसोटिया- अभी अपर मुख्य सचिव वन हैं और वे भी अनुराग जैन के साथ अगस्त 2025 में रिटायर होंगे। उन्हें भी अभी या छह महीने बाद चीफ सेक्रेटरी बनाए जाने की स्थिति में दो साल से ज्यादा का सेवाकाल है। उन्हें बनाए जाने से अनुसूचित जाति वर्ग का राजनीतिक फायदा लेने के बारे में भाजपा सोच सकती है।

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