मध्य प्रदेश पुलिस भगवान भरोसे, अफसरों पर काम नहीं तो प्रशासन में फाइलों का अंबार

मध्य प्रदेश पुलिस इन दिनों भगवान भरोसे है। यहां अफसरों के बीच कामकाज का सही बंटवारा नहीं है। किसी अफसर के पास कोई काम नहीं है तो कोई कई पीएचक्यू के बाहरी अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार पर अतिरिक्त प्रभार डाले जा रहे हैं। 35 हजार जवानों के विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) के पास अपना मुखिया नहीं है। प्रशासन में फाइलों का अंबार दिखाई देता है।

मध्य प्रदेश पुलिस में पुलिस मुख्यालय से लेकर मैदानी अधिकारियों के बीच कामकाज का असमान बंटवारा दिखाई देता है। एमपी पुलिस का बड़ा हिस्सा विशेष सशस्त्र बल होता है जिसके अपने रेंज हैं। यहां पदस्थ मिलिंद कानस्कर दो महीने पहले रिटायर हो गए लेकिन इसके बाद किसी ने अब तक सुध नहीं ली है। इतनी बड़ी फोर्स के लिए पुलिस मुख्यालय में आईपीएस नहीं है। राज्य पुलिस सेवा की एआईजी रश्मि अग्रवाल यहां काम देख रही हैं। ऐसे नहीं है कि विशेष सशस्त्र शाखा में कोई आना नहीं चाहता है या किसी की रुचि नहीं है बल्कि अनुराधा शंकर, आशुतोष राय, जीपी सिंह, प्रज्ञारिचा श्रीवास्तव, अनिल कुमार जैसे अधिकारियों के नाम यहां की पदस्थापना के लिए चर्चा में भी आ चुके हैं।
बाहरी अफसरों को अतिरिक्त प्रभार
आईपीएस के नाम पर बाहरी आईपीएस अधिकारी आईजी भोपाल ग्रामीण इरशाद वली को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जिनके पास पहले से ही आईजी भोपाल ग्रामीण के साथ दूरसंचार शाखा की जिम्मेदारी भी है। एसएएफ की भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर रेंज हैं जहां कोई भी अधिकारी नहीं है जबकि यहां आमतौ पर आईजी रैंक के अधिकारी होते हैं। भोपाल रेंज की जिम्मेदारी डीआईजी भोपाल ग्रामीण कृष्णावेनी देशावातु को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
कुछ वरिष्ठ अधिकारी के पास काम नहीं
पुलिस मुख्यालय में ऐसा नहीं है कि अधिकारी नहीं हैं बल्कि कुछ अधिकारी बिना काम के घूम रहे हैं। विशेष पुलिस महानिदेशक मुकेश जैन तीन महीने से पुलिस मुख्यालय में पदस्थ हैं मगर उन्हें आज तक कोई शाखा की जिम्मेदारी नहीं दी गई है। आईजी अनिल शर्मा भी पांच महीने पहले पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किए गए थे लेकिन आज तक उन्हें कोई काम नहीं दिया गया है।
प्रशासन शाखा में फाइलों का अंबार
पीएचक्यू की प्रशासन शाखा में इन दिनों फाइलों का निपटारा किस गति से हो रहा है, इसका अंदाज अधिकारियों के कक्षों में फाइलों के ढेर से लगाया जा सकता है। प्रशासन की कमान संभाल रहे एडीजी डी श्रीनिवास राव के कक्ष में फाइलों के लिए अब कोई जगह ही नहीं बची है। उनकी टेबल तो छोड़िये खिड़कियों के पास खाली जगह, छोटी टेबलों और कुछ अन्य स्थानों पर फाइलों के ढेर देखकर कोई भी शाखा में लंबित प्रकरणों की संख्या का अंदाज लगा सकता है।

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