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‘मदिरा प्रदेश’ पर बवाल, कमलनाथ के बयान पर CM का जवाब आते ही सवाल खड़ा हुआ विपक्ष में क्यों बदल जाती भाषा
जब भी राजनीतिक दल विपक्ष मे बैठता है तो उसकी भाषा विरोध के दौरान ट्रेक से उतर जाती है। इलेक्ट्रॉ़निक संसाधनों के इस दौर में अब नेताओं के सत्ता में आने तथा विपक्ष में रहते वक्त के बयानों के वायरल होने से जनता के सामने उनकी सच्चाई सामने आने लगी है। आज मध्य प्रदेश की आबकारी नीति पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश संबंधी बयान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पलटवार के बाद जनवरी 2020 का उनका एक ट्वीट वायरल होने पर सामने आ गया।
मध्य प्रदेश की आबकारी नीति पर आज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मदिरा प्रदेश का तमगा जड़ दिया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे मध्य प्रदेश का अपमान करार दिया। इसके बाद दोनों के बयानों को लेकर राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर बयानों की झड़ी लग गई। कमलनाथ ने बयान के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश की माटी, यहां के संस्कार व संस्कृति से कोई लगाव नहीं है। वे यहां की जड़ों से जुड़े नहीं हैं। इसलिए मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश कह रहे हैं। यह मध्य प्रदेश, यहां की साढ़े आठ करोड़ जनता, संस्कृति-संस्कार व परंपराओं का अपमान है। यहां के लोग मेहनती, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और देशभक्त हैं। चौहान ने कमलनाथ ने प्रदेश की जनता को आहत किया। उनका भाजपा से विरोध है तो वह उन्हें व उनकी पार्टी को कहें मगर प्रदेश का अपमान भाजपा सहन नहीं करेगी। भाजपा सरकार ने जनभावना, माता-बहनों के सम्मान और नशे को हतोत्साहित करने के लिए बनाई है। उन्होंने कमलनाथ से सवाल किया कि जब उन्हें मौका मिला था तो तब उन्होंने क्यों नहीं बनाई।
कमलनाथ ने कहा मदिरा प्रदेश का विपक्ष में रहकर अभियान चलाया था
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पलटवार पर कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि शिवराजजी ने जिस मदिरा प्रदेश शब्द को लेकर आपत्ति की है, उसी शब्द का उन्होंने उपयोग किया था। तब मदिरा प्रदेश के लिए पूरा अभियान चलाया था। कमलनाथ ने कहा कि सरकार ने देशी मदिरा व विदेशी मदिरा की संयुक्त दुकान खोलकर पूरे प्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या दोगुना बढ़ा दी है।




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