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मणिमाला सिंह के लोकगायन ने समाँ बांधा

जनजातीय संग्रहालय में आयोजित उत्तराधिकार श्रंृखला में रविवार शाम गायन सभ्ाा आयोजित की गई। प्रस्तुति के लिए रीवा से पधारी सुश्री मणिमाला सिंह ने बघ्ोलखण्ड अंचल में प्रचलित पारम्परिक लोकगीतों की मनमोहक प्र्रस्तुति दी। प्रस्तुति पश्चात् उप संचालक, संस्कृति संचालनालय श्रीमती वन्दना पाण्डेय ने कलाकारों का पुष्पगुच्छ भ्ोंट कर स्वागत किया।
सुश्री मणिमाला ने प्रस्तुति की शुरूआत गणेश वन्दना ‘पार्वती के पुत्र गजानन’ से की। फिर बिरहा गीत-‘मैहर की माता शारदा”, सोहर-‘धन-धन नगर अयोध्या”, बधाई-‘बाजी रे बधैया बड़ी दूर’ जैसे अनेक लोकांचल में प्रचलित पारम्परिक गीत प्रस्तुत किये। सुश्री सिंह ने होरी गीत-‘अंगना म उड़त अबीरा, बलम होरी कोरी साने” से प्रस्तुति का समापन किया। कोरस में सुश्री उर्मिला मिश्रा, रोली मिश्रा एवं प्रीति पाण्डेय ने साथ दिया।
गायन में सुश्री मणिमाला के साथ रामस्वरूप साकेत ने हारमोनियम पर, राजेन्द्र मिश्रा ने तबला पर, आशीट भ्ाट्ट ने ढोलक पर घ्ानश्याम तिवारी ने मंजीरा पर तथा सारंगी पर मुन्न्े खॉ ने संगत की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।
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