राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भीषण भ्रष्टाचार से हितग्राहियों को मुक्ति दिलाने के मकसद से शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को बंद करने तथा सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के खाते में पहुंचाने के निर्णय से न सिर्फ जिले बल्कि समूचे प्रदेश सेल्समंैनों में हडक़ंप मचा हुआ है। खुद को सहकारी नेता समझने वाले कतिपय लोगों ने कल नगर एक मंदिर परिसर में विक्रेताओं की एक बैठक आयोजित की। सहकारिता से संबद्ध एक संगठन के बैनर तले आयोजित बैठक में जिले के राशन विक्रेताओं से डेढ़ से दो हजार तक की धनराशि वसूली गई। छतरपुर ही नहीं बल्कि प्रदेश के कई अन्य जिलों से सहकारी नेताओं द्वारा विक्रेताओं से अवैध धनउगाही किए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। अवैध धनउगाही शासन के निर्णय को परवर्तित करवाने के एवज में संबंधित विभाग के मंत्री तक पहुंचाने के लिए संग्रहित किए जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। शासकीय उचित मूल्य के राशन की प्रशासनिक मिलीभगत से लंबे अर्से से व्यापक पैमाने पर जारी कालाबाजारी को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा लिए गए राशन दुकानों को बंद करने के निर्णय की जहा बुद्धिजीवियों द्वारा सराहना की जा रही वहीं राशन दुकानों का संचालन करने वालों में भारी बौखलाहट देखी जा रही है। उल्लेखनीय है कि यहंा पदस्थ रहे कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर ने शासकीय उचित मूल्य के सामान की कालाबाजारी पर प्रभावी अंकुश लगाने के मकसद से कुछ राशन विक्रेताओं को चोर बाजारी अधिनियम के तहत गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे भिजवाया तब भी न सिर्फ शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन करने वाले लोगों में हडक़ंप मच गया था बल्कि जिला मुख्यालय से लेकर सहकारिता से जुड़े लोगों ने राजधानी भोपाल तक इस कदर विरोध किया था कि उसके बाद आज तक जिला प्रशासन ने शासकीय उचित मूल्य के सामान की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटाई है। उल्लेखनीय है कि कल बैठक और अवैध धनउगाही के बाद शासकीय उचित मूल्य के राशन विक्रेताओं ने कलेक्टर और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के महाप्रबंधक को एक ज्ञापन सौंपकर शासन से शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को बंद करने के निर्णय को निरस्त करने की मांग भी की थी।
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