भ्रष्टाचार-अनियमितताः मेडिकल कॉलेज व अस्पताल भी पीछे नहीं, कमिश्नरों की रिपोर्ट से अटके पड़े मामले

मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामलों में चिकित्सा शिक्षा विभाग भी पीछे नहीं है। यहां डीन-अधीक्षक से लेकर प्राध्यापक तक इसकी जद में हैं जिनमें से कई मामले तो संभागीय कमिश्नर की रिपोर्ट के इंतजार में अधर में लटके हैं। कई मामले लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ दोनों जांच एजेंसियों के पास पहुंच गए हैं। कुछ लोगों के खिलाफ तो एक से ज्यादा शिकायतें जांच एजेंसियों में लंबित हैं। पढ़िये विधानसभा में जीतू पटवारी के लिखित प्रश्न में शासन के जवाब में आए इन मामलों का विस्तृत ब्यौरा।

लोकायुक्त संगठन के मामले
-भोपाल के हमीदिया अस्पताल अधीक्षक रहे डॉ. दीपक मरावी के खिलाफ 2017 में पैसों के बल पर अधीक्षक पद हासिल करने की लोकायुक्त में शिकायत की गई थी जिसकी संचालनालय ने जांच कर राज्य शासन को भेज दी है।

  • डॉ. संतोष पाठक- रीवा के खिलाफ 2016 में लोकायुक्त में शिकायत की गई थी जिसमें अभी शासन व लोकायुक्त संगठन के बीच पत्राचार चल रहा है।
  • डॉ. अक्षय निगम- ग्वालियर के खिलाफ मेडिकल कॉलेज में मशीन क्रय में भंडार नियमों व शर्तों का पालन नहीं करने के आरोपों की लोकायुक्त में शिकायत हुई थी जिसमें ग्वालियर संभाग आयुक्त द्वारा जांच पूरी कर उनकी दो वेतनवृद्धियां रोक दी थीं।
  • डॉ. एसएन आयंगर के खिलाफ 2017 में मेरोपेनम इंजेक्शन के संबंध में लोकायुक्त में शिकायत हुई थी जिस संचालनालय द्वारा जांच कर राज्य शासन को भेज दी गई है। डॉ. आयंगर की ही दूसरी शिकायत 2017 में ही ट्रामा सेंटर की राशि को खर्च करने में अनियमितता किए जाने की थी और इसकी जांच भी संचालनालय ने करके राज्य शासन को भेज दी है। उनके खिलाफ तीसरी शिकायत 2018 मं पद के दुरुपयोग करके करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित करने की शिकायत भी की गई।
  • डॉ. शशि गांधी प्राध्यापक माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग का ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से 2017 में प्रतिनियुक्ति समाप्त किए जाने को नियम विरुद्ध बताया गया और शिकायत की गई थी।
  • डॉ. रूपलेखा चौहान स्त्रीरोग विशेषज्ञ संविदा की डीन व प्रोफेसर पद पर मेडिकल कॉलेज जबलपुर में नियुक्ति की शिकायत भी की गई थी।
  • डॉ. मदन मोहन मुदगल के खिलाफ 2017 में ग्वालियर के जेएएच गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में मरीजों से पैसा लेकर ऑपेरशन करने और मरीजों को परेशान करने की शिकाय करने की शिकायत की थी।
  • डॉ. मूलचंद सोनगरा डीन गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के खिलाफ 2018 में उपकरण खरीदी को नियम विरुद्ध बताते हुए शिकायत की गई थी।
  • शहडोल मेडिकल कॉलेज में डॉ. नमन अवस्थी की असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति को 2018 में गलत बताते हुए लोकायुक्त में शिकायत की गई।
  • डॉ. सोहेल सिद्धीकी कार्डियोलॉजी विभाग जबलपुर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2018 में जबलपुर व नरसिंहपुर के शैल्बी प्रायवेट हॉस्पिटल में विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं देने की शिकाय हुई थी। जबलपुर कमिश्नर ने इसमें जांच की तो डॉ. सिद्धीकी ने त्यागपत्र दे दिया और 31 दिसंबर 2018 से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
  • डॉ. आरएस शर्मा कुलपति मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी जबलपुर के खिलाफ 2019 में गंभीर भ्रष्टाचार की लोकायुक्त में शिकायत की गई लेकिन इसे नस्तीबद्ध कर दिया गया। एक साल बाद डॉ. आशु पाठक सहायक कुलसचिव मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी जबलपुर के खिलाफ 2020 में फर्जी नियुक्ति के संबंध में जानकारी देने, आर्थिक गबन की लोकायुक्त में शिकायत की गई थी।
  • डॉ. ज्योति बिंदल डीन इंदौर मेडिकल कॉलेज और डॉ. हेमंत जैन अधीक्षक चाचा नेहरू अस्पताल इंदौर के खिलाफ 2020 में अवैधानिक नियुक्ति की लोकायुक्त में शिकायत की गई।
  • डॉ. राजेश गौर डीन दतिया मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2020 के खिलाफ अनियमितता की शिकायत में शासन द्वारा कार्रवाई प्रचलन में है।
  • डॉ. अर्जुन सिंह दतिया मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2020-21 में आर्थिक भ्रष्टाचार की शिकायत में जांच प्रचलन में बताई जा रही है।
  • डॉ. शैलेंद्र भदौरिया ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2020 के खिलाफ शासन को आर्थिक हानि पहुंचाने की लोकायुक्त में शिकायत की गई।
  • डॉ. नीरज जैन जबलपुर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2021 में प्रायवेट अस्पताल में नियमित प्रैक्टिस व भ्रष्टाचार की शिकायत हुई जिसका जांच प्रतिवेदन अपेक्षित है।
  • डॉ. जेएस नामधारी ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2021 में शिकायत की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।
  • डॉ. निमिष राय सीटीवीएस सुपर स्पेशलिस्ट जबलपुर के खिलाफ 2021 में हुई गंभीर भ्रष्टाचार की शिकायत का जांच प्रतिवेदन शासन को भेजा जा चुका है।
  • डॉ. ए पाठक नेफ्रोलॉजिस्ट जबलपुर के खिलाफ 2022 में हुई शिकायत की जांच रिपोर्ट भी राज्य शासन को भेज दी गई है।
  • डॉ. सचिन यादव दतिया मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2022-23 में एसटी श्रेणी की बैकलॉग सीट पर ओबीसी की नियुक्ति को लेकर शिकायत की गई जिसकी जांच ग्वालियर संभागायुक्त को दी गई है।
  • श्रीमती अंगूरी सिंह रजिस्ट्रार मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन कौंसिल भोपाल के खिलाफ 2016 में लोकायुक्त में शिकायत हुई थी जो समाप्त कर दी गई है। दूसरी शिकायत 2017 में भी भ्रष्टाचार की गई।

आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ की शिकायतेंः

  • डॉ. नीरज बेदी अधीक्षक सुल्तानिया अस्पताल भोपाल के खिलाफ ठेकेदारों व दुकानदारों से खरीदी में सांठगांठ कर अनियमितता करने की शिकायत पर डीन गांधी मेडिकल कॉलेज से प्रतिवेदन मांगा गया है लेकिन दो रिमाइंडर के बाद भी जवाब नहीं मिलने से जांच पूरी नहीं हो सकी।
  • डॉ. ज्योति बिंदल के खिलाफ लोकायुक्त के बाद दूसरी शिकायत ग्वालियर जयारोग्य अस्पताल में 2014-15 अनियमितता व लाखों रुपए के गोलमाल की शिकायत भी हुई जिसमें राज्य शासन को जांच प्रतिवेदन भेज दिया गया है।
  • डॉ. उल्का श्रीवास्तव तथा डॉ. मरावी के खिलाफ 2015 में एक शिकायत की गई जिसमें डॉ. श्रीवास्तव पर कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का भय दिखाकर एक-एक लाख रुपए मांगने के आरोप लगे थे और इसका जांच प्रतिवेदन शासन के पास है।
  • डॉ. अजीत कुमार चौरसिया के खिलाफ 2016 में शिकायत की गई जिसमें भोपाल के आसपास करोड़ों रुपए की काली संपत्ति बनाने के आरोप लगे।
  • डॉ. अरुणा कुमार के खिलाफ 2017 में पदोन्नति पर सवाल उठाने वाली शिकायत की गई।
  • श्रीमती अंगूरी सिंह रजिस्ट्रार मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन कौंसिल भोपाल के खिलाफ लोकायुक्त के बाद दूसरी शिकायत 2017 में भ्रष्टाचार की गई।
  • डॉ. अक्षय निगम ग्वालियर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ लोकायुक्त के साथ 2017 में भ्रष्टाचार व घोटाले की शिकायत हुई।
  • डॉ. शशि गांधी संयुक्त संचालक के खिलाफ 2017 में भ्रष्टाचार की शिकायत हुई।
  • डॉ. शीला जैन व डॉ. राजेश जैन सागर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2018 में शिकायत हुई जिसमें सागर संभाग से जांच प्रतिवेदन का इंतजार किया जा रहा है।
  • डॉ. एलडी शर्मा बएमओ नरवर शिवपुरी के खिलाफ 2018 में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत हुई है लेकिन यह मामला चिकित्सा शिक्षा संबंधी नहीं होने का प्रतिवेदन भेज दिया गया है।
  • डॉ. देवेंद्र अहिरवार सागर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ 2018 में शिकायत की गई कि वे एनपीए लेते हैं और इसके बाद भी प्रायवेट प्रैक्टिस करते हैं।
  • डॉ. मनोज राजौरिया खंड चिकित्सा अधिकारी पीएचसी बरई ग्वालियर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की 2019 में शिकायत हुई जिसमें संभागायुक्त का जांच प्रतिवेदन नहीं मिलने से कार्रवाई अटकी है।
  • डॉ. नमिता नीलकंठ बैतूल के खिलाफ 2020 में अवैध रूप से पीजी पाठ्यक्रम में शामिल होने की शिकायत हुई।
  • डॉ. एपीएस गहरवार रीवा के खिलाफ 2019 आर्थिक अनियमितता की शिकायत हुई लेकिन रीवा संभाग आयुक्त से जांच रिपोर्ट नहीं आने से कार्रवाई अटकी है।
  • डॉ. जीएस पटेल व डॉ. सुबोध मिश्रा ग्वालियर के खिलाफ 2019 में व्यापमं के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए लेकिन प्रकरण नस्तीबद्ध हो गया। डॉ. जीएस पटेल के खिलाफ दूसरी शिकायत 2020 में इसी तरह की दूसरी शिकायत हुई।
  • दिलीप गुप्ता एसडीओ व अन्य के खिलाफ ग्वालियर मेडिकल बिल्डिंग में बिजली सामग्री लगाए बिना भुगतान की 2019 में शिकायत हुई जिसमें जांच प्रतिवेदन भेजा जा चुका है।
  • डॉ. देवेंद्र जैन डेंटल कॉलेज इंदौर के खिलाफ 2020 में भ्रष्टाचार की शिकायत में शासन ने जांच रिपोर्ट भेजी।
  • डॉ. राजेश गौर, डॉ. यशोधरा बाथम और डॉ. प्रिया गौर के खिलाफ 2020 में फर्जी जाति प्रमाण से नौकरी पाने की शिकायत हुई लेकिन रिमाइंडर के बाद भी ग्वालियर संभाग आयुक्त के रिपोर्ट नहीं भेजने से मामला अटका है।
  • डॉ. राजेश गौर मेडिकल कॉलेज दतिया के खिलाफ लोकायुक्त के साथ 2021 में भ्रष्टाचार की शिकायत हुई जिसमें ग्वालियर संभाग आयुक्त की रिपोर्ट अपेक्षित है।
  • डॉ. आईडी चौरसिया हमीदिया अस्पाल भोपाल के खिलाफ 2021 में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत हुई जिसमें संभाग आयुक्त से मत मांगा गया है।
  • डॉ. एके चौरसिया गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के खिलाफ 2021 में सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के आधार पर शिकायत की गई।
  • डॉ. योगेश शर्मा डेंटिस्ट जबलपुर मेडिकल के खिलाफ 2021 में बिना स्वशासी संस्था को सेवा दिए वेतन लेने की शिकायत हुई।
  • डॉ. दीप्ति चौरसिया गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के खिलाफ 2021 में चिकित्सा शिक्षक की अवैध नियुक्ति व पदोन्नति की शिकायत की गई।
  • डॉ. गिरिजाशंकर गुप्ता ग्वालियर के खिलाफ 2021 में फर्जी दस्तावेजों से अधीक्षक पद पाने की शिकायत हुई।
  • डॉ. नीरज जैन जबलपुर मेडिकल कॉलेज के खिलाफ लोकायुक्त के अलावा यहां भी 2021 में प्रायवेट अस्पताल में नियमित प्रैक्टिस करने तथा भ्रष्टाचार की शिकायत की गई।
  • डॉ. पीके कसार मेडिकल कॉलेज जबलपुर के खिलाफ 2021 में भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग की शिकायत हुई।
  • डॉ. दिनेश उदेनिया ग्वालियर के खिलाफ 2021 में भ्रष्टाचार की शिकायत की गई।
  • डॉ. प्रभात बुधोलिया और डॉ. पंकज बुधोलिया के खिलाफ 2022 में निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की शिकायत।
  • डॉ. सुनील नंदेश्वर व डॉ. नीरज खरे विदिशा के खिलाफ 2022 में वित्तीय अनियमितता की शिकायत की गई।
  • डॉ. विद्यार्थी तिवारी, डॉ. अंकिता भार्गव व इंदौर डेंटल कॉलेज के अन्य लोगों के खिलाफ 2022 में नियम विरुद्ध चयन और भ्रष्टाचार की शिकायत हुई।
  • डॉ. अशोक खंडेलवाल कुलपति मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विवि जबलपुर के खिलाफ 2022 में भ्रष्टाचार व अनियमितताओं की शिकायत की गई जिसमें राज्य शासन से मार्गदर्शन मांगा गया है।
  • डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल कुलसचिव मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विवि जबलपुर के खिलाफ 2022 में भी भ्रष्टाचार व अनियमितता की शिकायत।
  • श्रीमती जस्सी फिलिप रजिस्ट्रार मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन कौंसिल भोपाल व सुुनीता सीजू व प्रतिभा भाटी के खिलाफ 2019 में शिकायत में कार्यवाही चल रही है।

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