मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आने से भाजपा खेमे में कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं के क्षेत्रों में पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं में ऊहापोह की स्थिति है। जिसकी वजह से आरएसएस-जनसंघ-भाजपा के मध्य प्रदेश के आधार स्तंभ रहे पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी ने अपने पिता के साथी रहे पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा की लाख मिन्नतों को ठुकरा दिया तो वहीं मालवा के बड़े नेताओं में शुमार भंवरसिंह शेखावत को मनाने के लिए सरकार-संगठन की ओर से प्रयास तेज कर दिए गए हैं। देखना यह है कि पार्टी इन जैसे नेताओं के लिए किस तरह ठोस रणनीति पर चलती है।
वर्ष 2020 में जब भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर अपने साथ लिया था और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को अल्पमत में कर अपनी सरकार की पेशकश की थी तब शायद यह अंदाज नहीं लगाया होगा कि तीन साल बाद विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के अनुशासन में रहने वाले पीढ़ियों से बंधे परिवार भी विरोध के स्वर उठाएंगे। पहले 22 और इसके बाद छह अन्य विधायकों के इस्तीफे हुए जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए। इन 28 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस से आए नेताओं के 2023 में टिकट की दावेदारी से पुराने नेताओं के पास विरोध के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।
दीपक ने रघुजी की दुहाई को ठुकराया
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी को मनाने के लिए पार्टी ने भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य रघुनंदन शर्मा को लगाया था क्योंकि रघुनंदन यानी रघुजी कैलाश जोशी के साथ न केवल काम किए बल्कि दीपक जोशी उनका आदर भी करते हैं। आज रघुजी ने उन्हें फोन कर अपने घर बुलाया और कई तरह से पार्टी नहीं छोड़ने की दुहाई दी लेकिन जोशी अपने फैसले से टस से मस नहीं हुए। वे रघुजी को साफ शब्दों में कह गए कि वे भाजपा में नहीं रहेंगे। यानी विधानसभा चुनाव के बाद स्व. देशराज यादव जैसे नेता के पुत्र यादवेंद्र सिंह यादव के विकेट के बाद स्व. कैलाश जोशी के बेटे दीपक का दूसरा विकेट गिरने में अब कुछ घंटे ही बचे हैं। शायद इसकी वजह दीपक की सीट से भाजपा सिंधिया समर्थक मनोज चौधरी को टिकट देगी तो उनकी विधानसभा लड़ने की इच्छा वहां रहकर पूरी होने की संभावना नगण्य बची है।
शेखावत को मनाने की कोशिशें तेज
बताया जाता है कि मालवा के कद्दावर भाजपा नेता भंवरसिंह शेखावत को भी कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया समर्थक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को उनकी सीट बदनावर से टिकट मिलने की वजह से चुनाव लड़ने के लिए दूसरी सीट देखना होगी। कहा जा रहा है कि शेखावत दूसरी सीट पर भी जाने के लिए तैयार हैं लेकिन अभी तक उनसे इस मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व की चर्चा नहीं होने से वे भी खफा हैं। पहले शेखावत को इंदौर से बदनावर विधानसभा चुनाव के लिए भेजा गया लेकिन अब उन्हें वहां भी सीट छोड़ने की स्थितियां बनते दिखाई दे रही हैं और ऐसे में वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की आशंकाओं के चलते तीखे तेवर अपनाए हुए हैं। शायद यही वजह है कि दीपक जोशी को मनाने में देरी करने वाली पार्टी अब उन्हें मनाने के लिए तेजी से प्रयास कर रही है। उन्हें भोपाल बुलाए जाने की खबरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुईं हैं और जब इसकी पुष्टि के लिए उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन अटैंड नहीं होने से सही स्थिति की जानकारी नहीं मिल सकी। यानी शेखावत की अभी भाजपा में बने रहने की संभावना है लेकिन वह उन्हें दूसरी किसी सीट से चुनाव लड़ने का आश्वासन मिलने की स्थिति पर ज्यादा निर्भर करेगा।
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