मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस की तैयारियों में अब साफ अंतर दिखाई देने लगा है। भाजपा के मुख्य सूत्रधार भोपाल में दौरे कर नब्ज टटोलकर दिल्ली में बैठकें कर फैसले ले रहे हैं तो कांग्रेस में हाईकमान दौरे तो कर रहा है लेकिन प्रत्याशी चयन को लेकर जिनको जिम्मेदारी दी है वे दिल्ली से आकर भोपाल में बैठ कर प्रत्याशियों के लिए दूरस्थ क्षेत्रों की नब्ज टटोल रहे हैं। पार्टी के प्रदेश के नेताओं की वरिष्ठता के आगे यहां आने वाले दिल्ली के नेताओं का कद बौना साबित होने से चुनाव की तैयारियों में टकराव के हालात नजर आ रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
विधानसभा चुनाव को अब चार महीने से भी कम समय बचा है और सितंबर के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर के पहले सप्ताह तक चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है। मतलब चुनाव की आचार संहिता को लगने में सवा से डेढ़ महीना ही बचा है लेकिन प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा-कांग्रेस की तैयारियों के बीच अंतर साफ दिखाई देने लगा है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-अमित शाह के दौरों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें भी हो रही हैं लेकिन कांग्रेस हाईकमान की ओर से अब तक आए नेताओं राहुल गांधी-प्रियंका गांधी ने नेताओं के साथ बैठकें करने के बजाय सभा कर अपनी ताकत को दिखाया। कांग्रेस के दावेदारों तो दूर क्षेत्रीय नेताओं के साथ अब तक हाईकमान की बैठकें नहीं होने से चुनावी तैयारियां कागजों पर अच्छी दिखाई दे रही हैं। प्रदेश के नेताओं ने दिल्ली में हाईकमान के साथ बैठकर वहां से समितियों का ऐलान करा दिया लेकिन प्रत्याशी चयन के जो दावे कुछ महीने पहले तक किए जा रहे थे, वे आज धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। पांच साल से लगातार जिन 66 सीटों पर कांग्रेस पार्टी हार रही है, वहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दौरे हो चुके हैं। मगर इन सीटों में से किसी भी सीट पर प्रत्याशी का नाम फाइनल नहीं किया गया है।
भोपाल में बैठकर ग्वालियर के दावेदारों से चर्चा
कांग्रेस ने दिल्ली से मध्य प्रदेश के लिए करीब दस नेताओं को भेज रखा है जिनमें सचिव और पर्यवेक्षक शामिल हैं। इन्हें अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। मगर इनमें से ज्यादातर भोपाल या दिल्ली में बैठकर दावेदारों से चर्चा कर उनसे पूछ रहे हैं कि वे कैसे चुनाव लड़ेंगे और उनके पास कितना वोट है जिनसे वे प्रत्याशी बनना चाह रहे हैं। कांग्रेस के चुनौती ग्वालियर-चंबल के लिए जिन दिल्ली के नेताजी को जिम्मेदारी दी गई है, वे भोपाल में बैठकर बैठकें कर रहे हैं और मोबाइल से दावेदारों से सीधे चर्चा कर रहे हैं। दावेदारों से सवाल कर रहे हैं कि पार्टी उन्हें क्यों विधानसभा चुनाव में टिकट दे। उनके पास जीत का क्या गणित है और वे प्रतिद्वंद्वी को किस तरह चुनौती दे सकते हैं। ऐसे दिल्ली के नेताओं की शिकायत हाईकमान तक पहुंच गई है।
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