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भाजपा का चुनाव मोडः नागपुर से लौटकर CM की अब 19 को मंत्रियों की क्लास

विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसके पहले भाजपा अपनी सरकार के काम की समीक्षा करते हुए कुछ खट्ठे-मीठे फैसले लेने के मूड में दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आज सुबह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर हेडक्वार्टर यात्रा पर थे और इसके बाद 19 फरवरी को सभी मंत्रियों को भोपाल तलब किया गया है। काफी समय से असंतुष्ट व सीनियर नेताओं की भावनाओं के मुताबिक फैसले की प्रतीक्षा हो रही है और लगता है वह समय आ चुका है। विशेष रिपोर्ट।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज सुबह नागपुर पहुंचे थे और वहां सीधे वे आरएसएस मुख्यालय पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात हुई। बंद कमरे में मुलाकात के बाद भोपाल में यह खबर वायरल हुई कि शिवराज मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को 19 फरवरी को सब काम छोड़कर राजधानी में बुलाया गया है। सूत्रों का कहना है कि आरएसएस मुख्यालय में चर्चा के बाद मंत्रियों को इस तरह एकसाथ बुलाए जाने के पीछे उनके परफार्मेंस की रिपोर्ट पर चर्चा हो सकती है।
कमलनाथ सरकार के इस्तीफे के बाद की परिस्थितियों में भाजपा के समझौते
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के इस्तीफे के बाद मार्च 2020 को शिवराज सरकार का गठन हुआ था और तब ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों व कांग्रेस से आए नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उस समय मंत्रिमंडल के गठन में भाजपा के अपने कई वरिष्ठ विधायक मंत्री नहीं बन सके और ऐसे नेताओं का दर्द गाहे-ब-गाहे बाहर आता रहता है। भाजपा की सरकार बनाते समय जो मजबूरियां थीं, वे कई उपचुनाव के दौरान कम होती गईं लेकिन मंत्रिमंडल में फेरबदल नहीं होने से पार्टी अपने लोगों को मंत्रिमंडल के बाहर से अंदर नहीं ला पाई है।
मौजूदा परिस्थिति में मंत्रिमंडल का ऐसा हो सकता है स्वरूप
वर्तमान परिस्थितियों में शिवराज कैबिनेट का स्वरूप कुछ ऐसा हो सकता है जिसमें सिंधिया समर्थकों के अधिकारों में कांटछांट की जा सकती है। राजनीतिक गलियारों की चर्चा के मुताबिक बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, प्रभूराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया, प्रद्युमंन सिंह तोमर, प्रेम सिंह पटेल, हरदीप सिंह डंग, इंदरसिंह परमार, रामखिलावन पटेल, रामकिशोर कांवरे, बृजेंद्र सिंह यादव, ओपीएस भदौरिया के परफार्मेंस पर सवाल उठने लगे हैं। इनमें से ज्यादातर मंत्री कांग्रेस से भाजपा में आए हैं जिनमें से सिंधिया समर्थकों के परफार्मेंस को नजरअंदाज किए जाने की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं। सिंधिया समर्थकों के अलावा कांग्रेस से आए मंत्रियों के अधिकारों पर चोट पड़ सकती है। कुछ सिंधिया समर्थक मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, गोविंद सिंह राजपूत विवादों की सुर्खियों में हैं लेकिन उनके साथ पार्टी फिलहाल सख्ती जैसा फैसला नहीं ले सकती है।
भाजपा के ये वरिष्ठ नेता किसी बदलाव के इंतजार में बाटजोह रहे
सातवीं बार विधायक बने भाजपा के एमएलए करण सिंह वर्मा व गौरीशंकर बिसेन, छठवीं बार विधायक बने नेताओं में गोपीलाल जाटव, रामपाल सिंह व पारस जैन, पांचवीं बार के विधायक जयसिंह मरावी, नागेंद्र सिंह व सीतासरन शर्मा हैं। इनके अलावा तीसरी और चौथी बार के विधायकों की संख्या भी काफी है जिनमें मंत्री रह चुके अजय विश्नोई व राजेंद्र शुक्ल जैसे नेता भी हैं। बिसेन तो पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बना दिए गए हैं लेकिन अन्य अभी मंत्रालय में कक्ष आवंटित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। देखना यह है कि सीएम चौहान आरएसएस मुख्यालय में मुलाकात के बाद अपनी कार्यपद्धति में क्या रुख अपनाते हैं। यह 19 फरवरी को मंत्रियों के साथ बैठक से पता चलेगा।
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