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बैतूल का तन्मय जिंदा नहीं निकाला जा सका, 100 घंटे बाद निकली लाश

बैतूल जिले की आठ नहर के पास मांडवी गांव में 100 घंटे से ज्यादा समय से बोरवेल में फंसा तन्मय आज जब निकला तो उसकी सांसें उखड़ चुकी थी. रेस्क्यू टीम पांचवें दिन उसके पास पहुंची लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. तन्मय की बोरवेल की गड्ढे में गिरने की घटना मध्यप्रदेश में कोई नई नहीं है मगर घटना होने पर रेस्क्यू पूरा होने तक ही ऐसी घटनाओं को लेकर प्रशासन शासन में चर्चा रहती है और इसके बाद मामला ठंडा पड़ जाता है. फिर जब कोई नई घटना होती है तो शासन प्रशासन इसी तरह चर्चाओं में मुद्दे को भूल जाता है. बैतूल के तन्मय की मौत के बाद शासन-प्रशासन बोरवेल के गड्ढे और खुले पड़े गड्ढों के जिम्मेदार लोगों पर कोई एक्शन लेगा यह जवाबदारी किसी ना किसी को तो देना ही होगी.
बैतूल जिले के मांडवी गांव में 6 साल का तन्मय साहू मंगलवार को खेलते खेलते एक बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था. उसी दिन से रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ किटी में लगी हुई थी पहले 3 दिन मशीनों से खुदाई की गई. मगर खुदाई के दौरान पथरी का इलाका होने से कंपन ज्यादा हुआ तो तन्मय को काफी तकलीफ हुई और फिर मैनुअल ढंग से तन्मय तक पहुंचने के लिए खुदाई का काम शुरू हुआ. आज सुबह जब मैं सिटी में तन्मय की घटनास्थल बोरवेल के गड्ढे तक पहुंची और उसे जब निकाला गया तो वह दम तोड़ चुका था.
जिम्मेदार कौन
तन्मय साहू की मौत की जिम्मेदारी को लेकर गुरुवार को प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार ने बयान दिया था कि रेस्क्यू में लापरवाही को लेकर जिम्मेदारी तय की जाएगी. प्रभारी मंत्री रेस्क्यू के चौथे दिन दिन घटनास्थल पर पहुंचे थे जिससे लोगों में नाराजगी थी और उन्हें लोगों ने भेजते हुए कई सवाल किए थे. इन सवालों के जवाब में परमार ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था. अब तन्मय साहू जब जिंदा नहीं निकाला जा सका है तो जिम्मेदार कौन यह तय किया जाएगा या केवल सवाल-जवाब तक मामला उलझ जाएगा.
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