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बच्चों ने बनाई कागज की मछली और सुनी मुर्गे (खों) की कहानी

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा बच्चों की सहज प्रवृत्तियों को रेखांकित करने और उनकी भीतरी सामर्थ्य को जाग्रत करने के उद्देश्य से ‘खुद को पहचानने’ श्रृंखला की शुरूआत की है। गतिविधि अंतर्गत काव्य अभिनय, आरगेमी, क्राफ्ट गतिविधि, कहानी पाठ, विज्ञान के खेल, रंगों के खेल जैसी अन्य गतिविधियाँ प्रत्येक रविवार को दोपहर 3.00 शुरू होगी, जिसमें 8 से 16 वर्ष की आयु के बच्चे एवं संग्रहालय भ्रमण में परिवार के साथ आये बच्चे भी शामिल हो सकेंगे।
4 सितंबर को आयोजित गतिविधि अंतर्गत बच्चों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। गतिविधि का उद्घाटन बच्चों द्वारा दीप प्रज्जवलन से किया गया। इसके बाद विशेषज्ञ श्री कार्तिक शर्मा, श्री राजेश पराशर द्वारा बच्चों को गतिविधि से जोड़ा गया। विशेषज्ञों ने सर्वप्रथम बच्चों से अभिनय कराया, जिसमें बच्चों ने अपनी-अपनी कला को प्रदर्शित किया एवं दूसरे सत्र में बच्चों ने कागज से मछली,कई तरह की टोपी एवं अन्य आकृतियों की निर्मिति को सीखा। अंतिम सत्र में बच्चों ने मुर्गे (खों) की लोकगाथा सुनी। प्रतिभागी के रचने की संभावना को देखते हुये शिल्पांकन के लिये आवश्यक सामग्री स्थल पर उपलब्ध कराई गई। गतिविधि दौरान बड़ी संख्या में बच्चे एवं संग्रहालय भ्रमण में परिवार के साथ आये बच्चे भी शामिल हुये। आगामी उल्लास गतिविधि 11 सितंबर, दोपहर 3 बजे आयोजित की जायेगी। गतिविधियों से जुड़ने के लिये मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की वेवसाइट www.MPTribalMuseum.comपर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन सीमित समय के लिये होगा। उल्लास गतिविधि अंतर्गत शिल्प, नृत्य, गायन मूर्तिकला, खेल, अभिनय एवं अन्य में बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे।
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