मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में लाखों रुपए निकाले जाने के घोटाले की मुख्य आरोपी निलंबित जेल अधीक्षक उषाराज आखिरकार अब इंदौर के सेंट्रल जेल में चहारदीवारी में पहुंच गई हैं। जिन कैदियों-बंदियों पर एक समय वे राज करती थीं, उनके बीच विचाराधीन बंदी की तरह जेल दाखिल हुईं तो उनके सामान को देखकर जेल अधिकारी चौंक गए और असमंजस में पड़े इन अफसरों ने उन्हें ऐसे कुर्सी ऑफर की कि कोई उंगली भी नहीं उठा सके। पढ़िये क्या किस बहाने अपने वरिष्ठ अधिकारी को कुर्सी ऑफर की।
उज्जैन सेंट्रल जेल की कुछ दिनों पहले तक अधीक्षक रहीं उषाराज अब विचाराधीन बंदी की तरह जेल के अंदर पहुंच गई हैं। उन्हें पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद शनिवार की रात को इंदौर के सेंट्रल जेल में ले जाया गया तो उनके साथ सामान देखकर जेल अधिकारी चौंक गए। जेल में दाखिल होने तक उषाराज को रात करीब पौने आठ बज गए थे तो जेल अधीक्षक अलका सोनकर की उनसे न तो तब मुलाकात हो सकी और न आज। अब वे दोनों सोमवार को आमने-सामने होंगी और फिर शायद दोनों के बीच जीपीएफ घोटाले से जुड़े घटनाक्रम पर चर्चा होगी क्योंकि उषाराज बोलती रही हैं गड़बड़ी उनके समय शुरू नहीं हुई बल्कि उसके पहले से चली आ रही थी। उनके पहले उज्जैन जेल अधीक्षक अलका सोनकर ही थीं। अलका सोनकर ने हमसे चर्चा में कहा कि तीन-तीन एजेंसियां जांच कर रही हैं और उनकी जांच में सामने आ जाएगा कि कब से गड़बड़ी हो रही थी और कौन-कौन इसमें शामिल है।
उषाराज के सामान पहनावे-स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्री
उषाराज जेल में जेल अफसर बनकर नहीं अंडरट्रायल बंदी की तरह शनिवार की रात को पहुंची तो अपने साथ जो सामान ले गईं, उसमें ढेर सारे कपड़े हैं। विचाराधीन बंदी होने की वजह से उन्हें कैदी की ड्रेस नहीं निजी वेशभूषा पहनना होगी तो वे कई जोड़ कपड़े ले गई हैं। उनकी कई दवाई भी चल रही हैं जो वे काफी समय का स्टॉक लेकर जेल पहुंची थीं जिसे डॉक्टरों से चैक कराने के बाद ही उषाराज को दिया गया। सोनकर ने बताया कि उषाराज कई दिनों की दवाई तो ले आईं लेकिन जेल के नियमों के हिसाब से दो या तीन दिन से ज्यादा की दवाई किसी बंदी को नहीं दी जा सकती तो दवाई के स्टॉक को जेल में ही रख दिया गया है।
मैडम साहिब को कुर्सी ऑफर
जेल अधीक्षक रहीं उषाराज अभी अंडरट्रायल बंदी हैं तो इंदौर सेंट्रल जेल में पदस्थ उनसे जूनियर अधिकारी उन्हें सम्मान देने के बहाने तलाशते रहे। सामान चैकिंग के बहाने उषाराज को बैठने के लिए कुर्सी ऑफर की गई और वे कुर्सी पर बैठ गईं, जेलकर्मी उनके सामान की तलाशी करते रहे। उऩके सामान में शौच करने की फोल्डिंग वाली कुर्सी भी है। उल्लेखनीय है कि इंदौर सेंट्रल जेल में पहला अवसर नहीं है कि कोई जेल अधीक्षक बंदी के रूप में वहां पहुंचा, बल्कि करीब एक दशक पहले जेल अधीक्षक रहे लालजी मिश्रा भी यहां बंदी के तौर पर दिन गुजार चुके हैं।
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