मध्य प्रदेश पुलिस की फायर सर्विसेज में अधिकारी बनने बीएस टोंगर ने रक्षा मंत्रालय के सर्विस रिकॉर्ड को नष्ट किया और फिर फर्जी फायर इंजीनियरिंग डिग्री तैयार कर ली। आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ ने 20 साल पहले एफआईआर दर्ज की और दस साल इनवेस्टिगेशन में रक्षा मंत्रालय, राजस्थान शिक्षा मंडल से तमाम दस्तावेज जुटाने के बाद चालान पेश किया। अब टोंगर को इंदौर की अदालत ने चार साल की सजा और छह हजार रुपए का अर्थदंड किया है।
मध्य प्रदेश पुलिस की फायर सर्विस बीएस टोंगर रक्षा मंत्रालय से प्रतिनियुक्ति पर आया था। वह मूल रूप से रक्षा मंत्रालय का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था और दिल्ली इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर गया था। दिल्ली इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड में प्रतिनयुक्ति समाप्त होने के बाद वह 1985 में मध्य प्रदेश पुलिस की फायर सर्विस में प्रतिनियुक्ति पर आ गया। यहां आने के बाद उसने पुलिस फायर सर्विस इंदौर में धीरे-धीरे पूरे अधिकार हासिल कर लिए और काफी प्रभावी अधिकारी बन गया।
नागपुर से फायर ट्रेनिंग की, जिसे फायर इंजीनियरिंग डिग्री बताया
आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ में जब यह मामला सामने आया तो इसकी जांच इंदौर इकाई को नहीं देकर भोपाल इकाई ने ही पूरी जांच की। तत्कालीन निरीक्षक राकेश सिंह बघेल ने इसमें अगस्त 2013 को चालान पेश करने के पूर्व तक इनवेस्टिगेशन में रक्षा मंत्रालय से टोंगर की सर्विस रिकॉर्ड के दस्तावेज, राजस्थान शिक्षा मंडल से उसके हायर सेकंडरी होने के साक्ष्यों को जुटाने के लिए कई बार यात्राएं और पत्राचार किए। रक्षा मंत्रालय ने पुलिस फायर सर्विस में वहां की टोंगर द्वारा लगाई गई सर्विस बुक के दस्तावेजों को फर्जी बताया तथा राजस्थान शिक्षा मंडल ने टोंगर के हायर सेकंडरी वर्ष के दस्तावेजों को नष्ट करने की बात कही। तब टोंगर के केवल 10वीं पास होने के साक्ष्य सामने आए।
मई 2013 में रिटायर हुआ टोंगर
मई 2013 में टोंगर का रिटायरमेंट हो गया और उसके बाद अगस्त 2013 में ईओडब्ल्यू द्वारा इंदौर अदालत में चालान पेश किया गया। उसकी सुनवाई के बाद इंदौर के प्रथम श्रेणी अपर सत्र न्यायाधीश संजय गुप्ता द्वारा मामले में सुनवाई के बाद टोंगर के खिलाफ 4 साल की कारावास और ₹6000 का अर्थदंड किया गया।
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