प्रदेश में रेत हॉर्वेस्टिंग और विपणन की नीति बनेगी

प्रदेश में रेत हॉर्वेस्टिंग की प्रस्तावित व्यवस्था के लिये नागरिकों से 10 अगस्त, 2017 तक सुझाव आमंत्रित किये गये हैं। सुझाव खनिज विभाग की वेबसाइट पर प्रस्तुत किये जा सकते हैं। प्रदेश में नदी की परिस्थितिकी के अनुकूल रेत हॉर्वेस्टिंग और विपणन नीति निर्धारण के संबंध में पिछले दिनों 21 जुलाई को हुई कार्यशाला में रेत नीति पर विचार करने भूगर्भ-शास्त्री, निजी व्यवसायी, रेत व्यापारियों के पक्षकार, विभागीय वरिष्ठ अधिकारी तथा तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हुए थे। कार्यशाला के बाद प्रदेश में इसके लिये 4 मॉडल तैयार कर अनुशंसाएँ की गयी हैं, जिनके आधार पर रेत हॉर्वेस्टिंग नीति प्रस्तावित की गयी है।कार्यशाला में इस बात पर सहमति व्यक्त की गयी कि रेत की हॉर्वेस्टिंग वैज्ञानिक पद्धति से हो, केवल उतनी ही मात्रा में हो, जितनी की नदी की परिस्थितिकी को बिना नुकसान पहुँचाये हो सके। नदी पर रेत की स्थिति अलग-अलग हो सकती है। इन स्थितियों के अनुरूप इनका निर्धारण भी वैज्ञानिक पद्धति से किया जाये। कार्यशाला में उपभोक्ता को मिलने वाली रेत के मूल्य को नियंत्रित करने पर भी विचार किया गया और अनुशंसाएँ की गयीं। रेत हॉर्वेस्टिंग और विपणन के लिये 4 मॉडल की अनुशंसा की गयी है। इसमें प्रथम मॉडल प्रदेश की वर्तमान व्यवस्था, द्वितीय मॉडल तेलंगाना तथा तृतीय मॉडल छत्तीसगढ़ राज्य की प्रचलित व्यवस्था शामिल है।कार्यशाला में प्रस्तावित चौथे मॉडल में प्रस्तावित किया गया है कि असंचालित खदानों में उपलब्ध रेत की मात्रा का पुनर्मूल्यांकन किया जाये। जो खदानें अभी असंचालित हैं, उन्हें निरस्त कर शासन और निगम द्वारा पर्यावरण एवं अन्य स्वीकृतियाँ प्राप्त कर पूर्व पद्धति से ई-ऑक्शन द्वारा 6 माह में एक करोड़ घन मीटर रेत उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो। निगम द्वारा लगभग 50 लाख घन मीटर रेत का खनन मॉडल नम्बर-2 तेलंगाना राज्य के अनुसार हो। साथ ही बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, जबलपुर एवं ग्वालियर में बीआरटीएस के समान रेत परिवहन कम्पनियों का गठन कर रेत का परिवहन किया जाये।इसी प्रकार रेत हॉर्वेस्टिंग के लिये रेत खनन के स्थान पर रेत हॉर्वेस्टिंग करने, सतर्कता एवं प्रवर्तन, वाहन ट्रेकिंग, नाका और तौल-काँटा की व्यवस्था हो। नाके पर पीपीपी मॉडल पर व्यवस्था किये जाने का भी सुझाव दिया गया है।

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