मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल ने पोषण आहार घोटाले को लेकर राज्यपाल मंगूभाई पटेल को पत्र लिखा है और शिवराज सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। विधायक दल ने सीबीआई पर अविश्वास जताते हुए राज्यपाल से मांग की है कि घोटाले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कराई जाए जिससे 18 सालों से पोषण अभियान में चल रहे पोषण आहार योजना का घोटाला सच सामने आ सके।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कांग्रेस विधायक दल की इस मांग को उठाया है। नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को भेजे तीन पेज के पत्र में पोषण आहार की गड़बड़ियों को 22 बिंदुओं में बताया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पोषण आहार में आठ दिसंबर 2017 की स्थिति में महिला बाल विकास विभाग को 11 से 14 साल की शाला त्यागी बालिकाओं का बेस लाइन सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी थी। मगर यह सर्वे को समय पर पूरा नहीं किया गया। इससे सर्वे के महत्व को खत्म कर दिया गया। शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या में भी काफी अंतर पाया गया है। पत्र में बताया गया कि महालेखाकार ने पोषण आहार के टेक होम राशन 2018-19 से 2020-2021 के तीन सालों के जिलों की 49 आंगनबाड़ियों के आडिट में कई करोड़ों की गड़बडियां पाईं। 62 करोड़ 72 लाख का 10176 टन टन पोषण आहार गोदामों में नहीं पाया गया और पोषण आहार संयंत्रों बाड़ी, धार, मंडला, रीवा, सागर व शिवपुुरी में निर्धारित व अनुमानित क्षमता से ज्यादा उत्पादन होने की जानकारी सामने आई।
दस सालों में नियमानुसार काम नहीं
नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को लिखे पत्र में बताया है कि प्रदेश के सभी 52 जिलों में 97135 आंगनबाड़़ियां हैं जहां कार्यक्रम अधिकारी और चाइल्ड जिला कार्यक्रम अधिकारी के नियमानुसार दस साल में कभी आहार की मात्रा, स्टाक, क्वालिटी, संख्या, टेकहोम राशन के पैकेज वितरण आदि का निरीक्षण या मूल्यांकन नहीं किया गया।
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