मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों के पेंशनर्स को महंगाई राहत वृद्धि के लिए दोनों प्रदेश की सरकारों की सहमति से फिलहाल राहत मिलने की संभावना नहीं है। इस संबंध में छ्त्तीसगढ़ विधानसभा में राज्य स्तर पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम की उस धारा 49 को हटाने या संशोधन किए जाने से अप्रत्यक्ष रूप से इनकार कर दिया गया, जो पेंशनर्स की महंगाई राहत की घोषणा के बाद उसे सेवानिवृत्त अधिकारियों-कर्मचारियों देने से तब तक रोकती है जब तक दोनों राज्यों के बीच सहमति नहीं बन जाती। पेंशनर्स से जुड़ी यह बात छत्तीसगढ़ विधानसभा में किसने उठाई जानिये।
मध्य प्रदेश सरकार ने अभी जनवरी 2023 से अपने कर्मचारियों व पेंशनर्स को चार फीसदी महंगाई भत्ता व महंगाई राहत देने का फैसला किया है लेकिन जुलाई 2022 में पेंशनर्स को दी गई महंगाई राहत ही उन्हें नहीं मिल पाई है। जुलाई 2022 में राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के साथ पेंशनर्स को महंगाई राहत देने का ऐलान तो कर दिया लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ सरकार ने उस पर अपनी सहमति देकर फाइल नहीं लौटाई है। ऐसे में पेंशनर्स को जनवरी 2023 की महंगाई राहत तो दूर की बात है जुलाई 2022 की महंगाई राहत ही नहीं मिल सकी है।
छ्त्तीसगढ़ विधानसभा में उठा मुद्दा
कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने पेंशनर्स से जुड़े राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 पर एक सवाल किया था जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या उपरोक्त धारा हटाई या संशोधित की जा रही है। इस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाब दिया कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम की किसी भी धारा में संशोधन या उसे हटाने का अधिकार केंद्र सरकार है। सीएम बघेल ने यह भी जवाब दिया कि 31 अक्टूबर 2000 या उसके बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों के पेंशन का भार जनसंख्या के अनुपात में मध्य प्रदेश व छ्त्तीसगढ़ के बीच 74ः26 से होता है। सीएम बघेल ने विधानसभा में यह भी जानकारी दी कि केंद्र सरकार द्वारा धारा 49 को विलोपित करने या संशोधित करने के कोई आदेश या निर्देश भी जारी नहीं किए गए हैं।
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