मध्य प्रदेश में माननीयों के वेतन-भत्तों की बढ़ोतरी की चर्चाओं के बीच एक नई खबर है कि अब पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को भी पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह सुविधाएं दी जा सकती हैं। इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को आजीवन वेतन ही नहीं नौकर-चाकर भी मिल जाएंगे। यह निर्णय होता है तो फिलहाल किन्हें लाभ होगा और दिसंबर 2023 के बाद किनको लाभ मिलेगा।
मध्य प्रदेश के माननीयों के वेतन-भत्ते में वृद्धि की चर्चा करीब दो महीने से चल रही है जिसमें अभी फैसला नहीं हुआ है। इसके साथ अब पूर्व विधानसभा अध्यक्षों की सुविधाएं बढ़ाने का भी विचार शुरू हो गया है। पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को अभी सामान्य तौर पर पूर्व विधायक या पूर्व सांसद की तरह पेंशन-सुविधाएं मिलती हैं। सू्त्रों के मुताबिक सरकार के पास पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का विचार है जिस पर फैसले के लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह की बैठक होना है। सीएम चौहान के समय की प्रतीक्षा की जा रही है।
कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने से यह होगा लाभ
पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है तो उन्हें आजीवन वेतन-सुविधाएं मिलने की पात्रता हो जाएगी। कैबिनेट मंत्री को अभी एक लाख 70 हजार रुपए वेतन है। इसके अलावा गाड़ी मिलती है जिसमें 250 लीटर पेट्रोल फ्री दिया जाता है। इसके साथ स्टाफ में एक क्लास वन स्तर का अधिकारी, तीन से चार तृतीय-चतुर्थ कर्मचारी भी सरकार उपलब्ध कराती है।
अभी भाजपा-कांग्रेस के एक-एक नेता को लाभ
अगर पूर्व विधानसभा अध्य़क्षों को सरकार कैबिनेट मंत्री का दर्जा देती है तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर के एक-एक नेता इससे लाभांवित होंगे। 14वीं विधानसभा के अध्यक्ष रहे डॉ. सीताशरण शर्मा और कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे नर्मदाप्रसाद प्रजापति को यह लाभ मिलेगा। दोनों ने नेता अभी मौजूदा विधानसभा के सदस्य हैं तो उन्हें वेतन में 60 हजार रुपए का लाभ होगा और गाड़ी-पेट्रोल-स्टाफ की सुविधा भी मिलने लगेगी। इनके अलावा इस श्रेणी में दिसंबर 2023 के बाद मौजूदा विधानसभा अध्य़क्ष गिरीश गौतम भी आ जाएंगे तो उन्हें 16वीं विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष नहीं बनने पर भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने से उसकी सुविधाएं मिलना शुरू हो जाएगी।
माननीयों के वेतन का खर्च दो करोड़ 14 लाख
उल्लेखनीय है कि अभी देश में विधायकों का सबसे कम वेतन मेघालय में 20 हजार रुपए है तो सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में दो लाख 32 हजार रुपए है। मध्य प्रदेश विधायकों तथा विधानसभा अध्यक्ष का वेतन विधानसभा देती है तो मुख्यमंत्री और मंत्रियों का वेतन सरकार करती है। कुल वेतन दो करोड़ 14 लाख रुपए हर महीने खर्च होता है।
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