मध्य प्रदेश विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और अधिकारी-कर्मचारियों को रिटायरमेंट में दी जाने वाली पेंशन की विसंगतियां अब पूर्व कुलपतियों को समझ आई हैं। एक दो नहीं बल्कि नौ पूर्व कुलपतियों को आज समझ आया है कि यूनिवर्सिटी के शिक्षक-अधिकारी व कर्मचारियों को गलत पेंशन दी जा रही है और अब वे उनके समर्थन में खड़े हो गए हैं। जानिये कौन-कौन पूर्व कुलपति समर्थन में सामने आए।
मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयीन अधिकारी-कर्मचारी और शिक्षक सातवें वेतनमान में रिटायर होते हैं लेकिन उन्हें पेंशन का निर्धारण छठवें वेतनमान के आधार पर किया जाता है। यह विसंगति आज की नहीं बल्कि काफी समय से चली आ रही है। इस दौरान कई कुलपति आए और चले गए लेकिन विश्वविद्यालयीन कर्मचारी-अधिकारी व शिक्षक मांग करते रह गए। कुलपतियों का कार्यकाल समाप्त हो गया और उनकी मांगें वहीं की वहीं रह गईं।
अब पूर्व कुलपतियों का फोरम समर्थन में कूदा
मध्यप्रदेश के पूर्व कुलपतियों के फोरम (फोरम ऑफ एक्स-वाईस चांसलर) ने प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों में शिक्षक-अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा मांगों के संबंध में किये जा रहे चरणबद्ध आंदोलन का समर्थन किया। फोरम ने विवि शिक्षक-अधिकारी व कर्मचारियों को सातवें वेतनमान से पेंशन देने एवं छठे वेतनमान से प्रदाय पेंशनधारियों को राज्य शासन के अनुरूप ही महंगाई भत्ता प्रदान करने की मांग की है। फोरम ने कहा है कि यह आश्चर्य की बात है कि सातवें वेतनमान में सेवानिवृत्त अधिकारियों,कर्मचारियों एवं शिक्षकों को छठवें में वेतनमान के आधार पर पेंशन दी जा रही है जो कि यह न तो न्यायोचित है और न ही तर्कसंगत है|
इन कुलपतियों ने दिया समर्थन
पूर्व कुलपति फोरम के महासचिव डॉ. कमलाकर सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक/अधिकारी एवं कर्मचारियों की मांगों का डॉ. भरत छपरवाल, पूर्व कुलपति देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर, प्रो.आई.एस. चौहान, पूर्व कुलपति, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल, डॉ. जयंत सोनवलकर, पूर्व कुलपति, मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल, प्रो0 एम0के0 श्रीवास्तव, राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा, प्रो0 पी0के0 मिश्रा, पूर्व कुलपति, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर, डॉ. संतोष कुमार, पूर्व कुलपति, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, डॉ. ए.डी.एन. वाजपेयी, पूर्व कुलपति, ए.पी.एस. विश्वविद्यालय, रीवा, डॉ. प्रियव्रत शुक्ला, पूर्व कुलपति, महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय, छतरपुर तथा प्रो0 व्ही0के0 सक्सेना, पूर्व कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर सहित अन्य सदस्यों ने भी समर्थन किया है।
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