पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्‍य जीएसटी से लाभान्वित होंगे: डॉ. जितेंद्र सिंह

पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ राज्य भी उन राज्यों में शामिल हैं, जिनके 30 जून और 1 जुलाई की मध्‍यरात्रि से जीएसटी को लागू करने से लाभान्वित होने की संभावना है। कुछ हलकों में व्‍याप्‍त गलत धारणाओं के विपरीत जीएसटी इन राज्यों को भी भारत के अधिक विकसित राज्यों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर राजकोषीय वृद्धि हासिल करने का अवसर प्रदान करेगा और इस तरह उनकी अपनी कमियों की भरपाई कर देगा।

यह बात केंद्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कही। वह जीएसटी को लागू करने के विषय पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले प्रगति मैदान में राष्‍ट्रीय आवास विकास संगठन द्वारा ‘पूर्वोत्‍तर क्षेत्र का विकास’ विषय पर आयोजित सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि जीएसटी को लागू किए जाने के बाद टैक्‍स-पूल सुनिश्चित होने से सुदृढ़ होने वाले राजकोष के जरिए ‘वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास’ संबंधी केंद्र सरकार का लक्ष्‍य पूरा करने के प्रयासों को भी नई गति मिलेगी।डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्‍वतंत्र भारत के 70 वर्षों के इतिहास में जीएसटी संभवत: सर्वाधिक कुशलतापूर्वक और मेहनत के साथ लागू किए गए सुधारों में से एक है, जिसे मौजूदा एवं अंतिम स्‍वरूप हासिल करने में कई माह और वर्ष लग गए। उन्होंने कहा कि यह भी शायद पहली बार ही हुआ है कि एक केंद्रीय मंत्री अर्थात इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री ने प्रत्येक राज्य और भारत के प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के वित्त मंत्री के साथ बैठक करके पूर्ण सर्वसम्मति से इस टैक्‍स सुधार से जुड़ी छोटी-से-छोटी बातों को ध्‍यान में रखते हुए इसका ब्‍योरा तैयार किया। उन्‍होंने कहा कि यदि किसी निश्चित बिंदु पर पूर्ण सहमति नहीं हो पाती थी, तो सर्वसम्मति प्राप्त करने के लिए बैठकों की श्रृंखला आयोजित की जाती थी।\इसे ध्‍यान में रखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीएसटी को न केवल क्रांतिकारी आर्थिक सुधार के रूप में वर्णित किया, बल्कि कहा कि इससे भारतीय गणराज्य की संघीय व्यवस्था के कामकाज में एक नए अध्याय का सूत्रपात हुआ है।डॉ. जितेंद्र सिंह ने उपलब्‍ध छूट सीमा का उल्‍लेख करते हुए कहा कि कई व्यापारी और कई मध्यमवर्गीय व्यवसायी संभवत: जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे, अत: उन्हें कुछ भी टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ सकता है। इसी तरह छूट प्राप्‍त वस्‍तुओं जैसे कि दालों के व्‍यापार से जुड़े लोगों को भी न तो टैक्स का भुगतान करना होगा और न ही रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होगी।

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