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पात्रता परीक्षा को चयन परीक्षा बताकर भ्रम न फैलायें शिवराज: पूर्व मंत्री पीसी शर्मा
एनआरए (नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी) द्वारा केवल केट (काॅमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) कराया जाएगा। यह कोई ष्चयन परीक्षाष् नहीं है बल्कि केवल पात्रता परीक्षा है। ऐसी कई पात्रता परीक्षाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार बेरोजगारों को 15 साल में ठग चुकी है और उन्हें नौकरियां नहीं मिलीं। इसमें शामिल होने के बाद भी युवाओं को अलग अलग एजेंसी में परीक्षा के लिए आवेदन करना पडेगा।
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने एक पत्रकार वार्ता में नेशनल रिक्रुटमेंट एजेंसी को बड़ा व्यापमं बताये हुए कहा कि अभी लगभग केंद्र सरकार के स्तर पर 20 रिक्रूटमेंट एजेंसी हैं। इनमें से केवल 3 एजेंसी एसएससी, रेल्वे रिक्रूटमेंट बोर्ड एवं आईबीएस द्वारा की जा रही परीक्षा को ही एनआरए द्वारा किया जाएगा।
वह भी केवल ग्रुप बी एवं ग्रुप सी की नाॅन गजेटेड पदों के लिए। ये एजेंसियां जो पहले से कर ही रही हैं, जबकि पात्रता परीक्षा पास करने के बाद भी इन एजेंसियों में पृथक से आवेदन भी देना पड़ेगा तब इस एक और नयी परीक्षा का क्या औचित्य है? स्पष्ट है बेरोजगारों को ठगने के लिये एक बड़ा व्यापम बनाया जा रहा है।
शर्मा ने कहा कि मोदी जी की नकल को आतुर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने बिना किसी जानकारी के फिर एक घोषणा कर दी है कि प्रदेश में शासकीय नौकरियों के लिए युवाओं को अलग से कोई परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही इन्हें प्रदेश की शासकीय नौकरियां मिलेंगी। शर्मा ने कहा कि इससे मेरिट वाले युवा पीछे धकेल दिये जायेंगे और अन्य पात्रता परीक्षाओं की तरह प्रतिक्षा में ही युवा ओवर एज हो जायेंगे।
उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से पूछा है कि:-
(1) क्या उन्हें जानकारी है कि एनआरए सिलेक्शन नहीं है, शाॅर्टलिस्टिंग के लिए है?
(2) क्या आपने एनआरए में प्रदेश की नौकरियों को शामिल करने की मंजूरी ली है?
(3) क्या आप व्यापम और एमपीपीएससी जैसे संस्थान बंद कर रहे हैं, जिनका काम
प्रदेश की सरकारी नौकरियां की परीक्षा आयोजित करना है? प्रदेश के युवाओं को भ्रमित करने वाली इस घोषणा के क्या मायने हैं?
पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि यह बयान साफ तौर पर एक कोरी मंचीय घोषणा है, जो उन्होंने युवाओं को लुभाने के लिए की है। लेकिन अब वह यह घोषणा करके खुद फंस गए हैं।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के बेरोजगारों को शासकीय नौकरी में मप्र के रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य करके मध्यप्रदेश के बेरोजगारों को नौकरी देने का फैसला जुलाई 2019 में ही कमलनाथ सरकार कर चुकी है। जिन रोजगार कार्यालयों को शिवराज बंद कर चुके थे, उन्हें वापिस शुरू कर सशक्त बनाने का काम कमलनाथ जी ने किया। साथ ही निजी क्षेत्र में भी 70 प्रतिशत नौकरियों का फैसला किया।
15 साल से 28 लाख लोगों को बेरोजगार बनाये रखने वाली शिवराज सरकार युवाओं को ठगने की नई तरकीब लगा रही है, बेहतर हो कि वह कमलनाथ सरकार के रोजगार मूलक फैसलों का पालन करे।
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