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पांच सौ साल पुरानी नृत्य शैली और थाइलैंड के शास्त्रीय नृत्य में श्रीराम कथा की प्रस्तुति

अंतर्राष्ट्रीय रामलीलाल उत्सव के चौथे दिन रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर पांच सौ साल पुरानी नृत्य शैली और थाइलैंड के शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से श्रीराम कथा की प्रस्तुति दी गई। खोन रामायण ग्रुप थाइलैंड द्वारा श्रीराम कथा औऱ असम के उत्तर कमलाबाड़ी सत्र शंकरदेव क्रिस्टी संघ, मांजुली द्वारा पुष्पवाटिका, धुनष यज्ञ, सीता स्वयंवर प्रसंगों की प्रस्तुति हुई।
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय रामलीला उत्सव में आज खोन रामायण ग्रुप थाइलैंड के कलाकारों ने शूर्पणखा प्रसंग की प्रस्तुति दी। थाइलैंड का यह समूह 20 साल से अमेरिका, यूरोप, एशिया में प्रस्तुति दे चुका है और वाल्मीकि रामायण की रामकथा के साथ स्थानीय कवियों द्वारा जोड़ी गईं उपकथाएं भी इसमें देखने को मिलीं। थाइलैंड के कलाकारों की प्रस्तुति में शूर्पणखा पंचवटी में भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को देखकर मोहित हो जाती है और यह सोचने लगती है कि उसके समान नारी और श्रीराम व लक्ष्मण के समान सुंदर पुरुष तीनों लोकों में नहीं है। यह विचार करते हुए वह श्रीराम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखती है तो वे मना कर देते हैं। इसके बाद शूर्पणखा विवाह का प्रस्ताव लक्ष्मण के सामने रखती है और वे भी मना कर देते हैं। इस पर शूर्पणखा सीता को मारने को तैयार होती है तो क्रोध में लक्ष्मण उसकी नाक और कान काटकर दंड देते हैं। इसका बदला रावण सीता का हरण कर लेता है। इस प्रस्तुति में थाइलैंड के शास्त्रीय नृत्य, पारंपरिक वेशभूषा व नाटक का समावेश दिखाई दिया।
550 साल पुरानी नृत्य शैली परंपरा में श्रीराम कथा
अगले क्रम में उत्तर कमलाबाड़ी सत्र शंकरदेव क्रिस्टी संघ, माजुली (असम) द्वारा पुष्पवाटिका, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम संवाद प्रसंग की सत्रीया नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य शैली 550 वर्ष पुरानी परंपरा है एवं सत्रीया नृत्य में परंपरागत हस्तसमुद्राओं, पद कार्य एवं संगीत होता है । इस परंपरा में विशिष्ट रूप से भिन्न दो नाटक और नृत्य धाराएं होती है। दो घंटे की प्रस्तुति की शुरूआत पूर्व रंग (गायन-बायन) से हुई। इसके बाद सूत्रधार आते हैं जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं और मंच पर श्रीराम और लक्ष्मण का आगमन होता है। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने खोल (ढोलक) और ताल(मजीरा) वाद्ययंत्रों से प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरूआत कलाकारों के स्वागत से की गई। इस दौरान संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी, सहायक संचालक सुश्री वंदना जैन, निदेशक जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास डॉ.धर्मेंद्र पारे एवं अन्य अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में श्रोता और दर्शक उपस्थित रहे।
निमाड़ी गीतों की प्रस्तुति के साथ कठपुतली प्रदर्शन
19 अक्टूबर,2022 को दोपहर प्रस्तुति अंतर्गत सुश्री संदीपा पारे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गीतों में श्रीराम एवं श्री दिलीप मासूम एवं साथी,भोपाल द्वारा कठपुतली की प्रस्तुति दी गई। गायिका सुश्री संदीपा पारे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गीतों में श्रीराम की प्रस्तुति दी। उन्होंने राम खुशी हुई जी म्हारा मन की आज बधाई सियाराम की (रामजन्म गीत)…, राम जी झूली रह्या पालना (झूला गीत)…, घिसी घोलई चन्दन सी अंगणों लिपायो(राम महिमा गीत)…,राजा जनक घर शुभ घड़ी आई आज सिया की सगाई जी(सगाई गीत)…, थारो ब्याव तो रच्यो रे बना जनकपुर म (बन्ना गीत)…, हो बठ्या बठ्या कौसल्या की गोद राम चन्द्र दुल्लव बण्या (बन्ना गीत)…, आज सखी श्याम सुंदर ब्याही (ब्याह गीत)…, एवं अन्य गीतों,भजनों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायिका संदीपा पारे,सह-कलाकार सुश्री तृप्ति बिल्लोरे, सुश्री स्वाति सराफ, सुश्री इषिता खले,सुश्री आरोही खले एवं हारमोनियम पर श्री जितेंद्र शर्मा, बाँसुरी पर श्री नितेश माँगरोले, तबला पर श्री देवा शांडिल्य और ढोलक पर श्री उत्कर्ष नारनवरे ने संगत की। श्री दिलीप मासूम एवं साथी,भोपाल द्वारा कठपुतली प्रदर्शन किया।
श्रीहनुमान कथा की चौपाइयों और दोहों को 42 चित्रों में समेटा
उत्सव अंतर्गत पहली बार श्री हनुमान चालीसा आधारित “संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया गया है। श्रीहनुमान के महान चरित को पहली बार चित्रात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का कार्य मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। चित्र सृजन का कार्य ख्यात चित्रकार श्री सुनील विश्वकर्मा-वाराणसी के द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाये 42 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। श्री विश्वकर्मा की विशिष्टता भारतीय आध्यात्मिक चरितों को पूर्ण शुचिता के साथ अभिव्यक्त करने की रही है।
बुनकर-शिल्पकारों के उत्पादों का प्रदर्शन-विक्रय
दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव मेला अंतर्गत 185 से अधिक शिल्पी विविध माध्यमों के शिल्प एवं वस्त्र, टेराकोटा, बांस, लोहा, पीतल, तांबा एवं अन्य धातु से बने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय किया गया। शिल्प मेले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कश्मीर, दिल्ली एवं अन्य राज्यों के बुनकर और शिल्पकारों ने हिस्सा लिया है। सभी शिल्पी अपने-अपने विशिष्ठ शिल्पों के साथ इस मेले में पधारे हैं। शिल्पों में प्रमुख रूप से दीपों के त्योहार में उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे दीपक, हैंगिंग लाइट्स, हैंगिंग डेकोरेटिव आइटम्स इत्यादि हैं। साथ ही बनारसी साड़ी, चंदेरी साड़ी, भोपाली बटुये, जरी-जरदोजी, मिट्टी के खिलौने, गोंड-भील एवं मधुबनी पेंटिंग, साज-सज्जा आइटम, मेटल आयटम, बांस से बने शिल्प, सिरेमिक आर्ट इत्यादि भी खास हैं। दीपोत्सव मेले में मध्यप्रदेश के श्री पवन गंगवाल अपने साथ दाबू प्रिंट के वस्त्र लेकर आये हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि दाबू का अर्थ है दबाना। दबाने की प्रक्रिया में एक मिश्रित पेस्ट का प्रयोग होता है जिसमें चूना, गोंद, गुड़, तेल, गेंहू एवं काली मिट्टी का प्रयोग किया जाता है और अलग अलग विधियों के माध्यम से वस्त्र तैयार किया जाता है।
स्वाद- व्यंजन मेला
उत्सव अंतर्गत स्वाद- व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली व्यंजन में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी व्यंजन में जोधपुरी प्याज की कचौरी, मिर्ची बड़ा, छोले टिक्की, बिहारी व्यंजन में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी तथा भील एवं गोण्ड जनजातीय समुदाय के व्यंजन भी शामिल हैं। वहीं लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन की गतिविधियाँ प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से रवींद्र भवन परिसर में आयोजित की जायेंगी। कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है एवं आप सादर आमंत्रित हैं।
सात दिवसीय उत्सव में किस दिन क्या
20 अक्टूबरः श्रीरामलीला मंडल, उड्डुपी (कर्नाटक) द्वारा वनगमन, सीताहरण, जटायु प्रसंग
21 अक्टूबरः हिन्दू प्रचार केंद्र, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कलाकार द्वारा श्रीरामकथा, श्रीरघुनाथजी लीला प्रचार समिति, पुरी (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम-सुग्रीव मित्रता, हनुमान-रावण संवाद एवं लंका दहन प्रसंग की प्रस्तुति दी जायेगी।
22 अक्टूबरः श्री सत्संग रामायण ग्रुप, फिजी द्वारा श्रीरामकथा एवं श्री आदर्श रामलीला मंडल, सतना (म.प्र) द्वारा लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ-रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग मंचित करेंगे।
लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन अंतर्गत दोपहर की प्रस्तुतियाँ
20 अक्टूबर को सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम एवं श्री गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रस्तुति
21 अक्टूबर को श्री अभिषेक निगम एवं साथी, उज्जैन द्वारा भक्ति गायन एवं श्री मनीष यादव एवं साथी सागर द्वारा बरेदी नृत्य प्रस्तुति
22 अक्टूबर को श्री रूद्रकांत ठाकुर एवं साथी, सिवनी द्वारा भक्ति गायन एवं सुश्री श्वेता अग्रवाल एवं साथी रीवा द्वारा अहिराई नृत्य प्रस्तुति
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