परिवारवाद पर मोदी के हमले से MP के नेताओं के माथे पर सलवटें, जानें किन-किन नेताओं की चिंता

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बूथ विस्तारक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विपक्षी पार्टियों के परिवारवाद पर जमकर हमले बोले। इस हमले के दौरान प्रदेश भाजपा में उन नेताओं के माथे पर सलवटें आ गईं जो राजनीति में परिवार के सहारे आगे बढ़ते रहे हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िये भाजपा में किन-किन नेताओं को परिवार की राजनीति पृष्ठभूमि की वजह से मौके मिलते रहे हैं।

मध्य प्रदेश में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के परिवारवाद पर हमला बोला। कहा कि अगर आपको गांधी परिवार के बेटे-बेटी का भला करना है तो कांग्रेस, मुलायम सिंह यादव के बेटे का भला करना है तो समाजवादी पार्टी, लालूप्रसाद के बेटे-बेटी का भला करना चाहते हैं तो राजद, शरद पवार की बेटी का भला करना हो तो एनसीपी, अबदुल्ला परिवार के बेटे का भला करना हो तो नेशनल कांफ्रेंस, करुणानिधि के बेटे-बेटी, पोते-पोती का भला करना हो तो डीएमके, के चंद्रशेखर राव की बेटी का भला करना हो तो बीआरएस को वोट दीजिए। मगर आपको अपने परिवार के बेटे-बेटी, पोते-पोती, नाती-नातिन और बच्चों का भला करना हो तो भाजपा को वोट दें। मोदी ने इस तरह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी की लाइन तय कर दी है जिससे परिवार के सहारे राजनीति में जमने वाले नेताओं के लिए चिंता की स्थिति बन गई है।

  1. इंदौर के पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मण गौड़ की पत्नी मालिनी गौड़।
    लक्ष्मण गौड़ के निधन के बाद मालिनी इंदौर महापौर बनी और फिर विधायक भी बनी। अब उनके बेटे भी राजनीति में उतरने वाले हैं।
  2. भोपाल की कृष्णा गौर।
    ससुर बाबूलाल गौर ने बहू को राजनीति में उतारा। भोपाल की महापौर बनी और फिर 2018 में विधायक भी बनीं।
  3. नरसिंहपुर के जालम सिंह पटेल।
    केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह हैं जिन्हें बड़े भाई राजनीति में लाए। वे विधायक भी हैं।
  4. पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा।
    पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवार के भतीजे सुरेंद्र पटवा हैं। उन्होंने सुंदरलाल पटवा की रायसेन सीट पर राजनीतिक विरासत संभाली है।
  5. देवास की गायत्रीराजे पवार।
    पूर्व मंत्री स्व. तुकोजीराव पवार की पत्नी हैं गायत्रीराजे। पति के निधन के बाद वे राजनीति में आई हैं और विधायक हैं।
  6. बालाघाट की मौसम बिसेन।
    पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन की पुत्री मौसम बिसेन हैं। बिसेन बेटी को टिकट दिलाने के लिए 2018 से प्रयासरत हैं।
  7. सागर के अभिषेक भार्गव।
    मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे हैं अभिषेक। अभिषेक भी पिता की तरह राजनीति में आना चाहते हैं लेकिन चुनावी राजनीति में अभी उन्हें मौका नहीं मिल सका है।
  8. दतिया के सुकर्ण मिश्रा।
    मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे हैं सुकर्ण। वे भी राजनीति में उतरना चाहते हैं और अपनी पिता की राजनीतिक विरासत संभालना चाहते हैं।
  9. सागर के हीरासिंह व आकाश सिंह राजपूत।
    मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह हैं और बेटे आकाश सिंह हैं। हीरा सिंह तो जिला पंचायत हैं तो आकाश सिंह समाजसेवा में सक्रिय हो गए हैं।
  10. जबलपुर के अशोक रोहाणी।
    पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. ईश्वरदास रोहाणी के पुत्र हैं अशोक रोहाणी। पिता के निधन के बाद उन्हें टिकट मिला और वे विधायक बने।
  11. खंडवा के देवेंद्र वर्मा।
    पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा के बेटे हैं देवेंद्र। पिता के निधन के बाद वे राजनीति में आए और विधायक बने।
  12. धार की नीना वर्मा।
    पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी हैं नीना। पति की राजनीतिक विरासत पत्नी ने संभाली है। हालांकि विक्रम वर्मा अभी 79 उम्र के हैं।
  13. इंदौर के आकाश विजयवर्गीय।
    पूर्व मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र हैं आकाश। पिता ने पिछले चुनाव में बेटे को विधानसभा का टिकट दिलाया था।
  14. विदिशा के उमाकांत शर्मा।
    पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई हैं उमाकांत। लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ व्यापमं घोटाले में अपराधिक प्रकरण हो जाने के लिए भाई को पार्टी ने टिकट दिया।
  15. हरदा के संजय शाह।
    मंत्री विजय शाह के भाई हैं संजय शाह। वे राजनीति में आना चाहते थे और उन्होंने पहले निर्दलीय चुनाव जीता। अब वे भाजपा के विधायक हैं।
  16. नीमच के ओमप्रकाश सकलेचा।
    पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के पुत्र हैं ओमप्रकाश। पिता के निधन के बाद राजनीति में आए और आज वरिष्ठ मंत्री हैं।
  17. भोपाल के विश्वास सारंग।
    पूर्व सांसद और मध्य प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे कैलाश नारायण सारंग के बेटे हैं विश्वास सारंग। पहले पार्षद और फिर विधानसभा में पहुंचे व अभी मंत्री हैं।
  18. यशोधरा राजे सिंधिया व ज्योतिरादित्य सिंधिया।
    जनसंघ व भाजपा की संस्थापकों में से एक विजयाराजे सिंधिया की बेटी हैं यशोधरा राजे व पोते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया। यशोधरा राजे शुरू से ही भाजपा में हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अभी तीन साल हुए हैं। यशोधरा राजे मध्य प्रदेश में मंत्री हैं तो ज्योतिरादित्य केंद्रीय मंत्री हैं।
  19. रायसेन के मुदित शेजवार।
    पूर्व मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के बेटे हैं मुदित। वे 2020 के उपचुनाव में टिकिट की दावेदारी कर रहे थे और अभी भी विधानसभा चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं।
  20. दमोह के सिद्धार्थ मलैया।
    पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे हैं सिद्धार्थ। वे उप चुनाव में टिकिट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन टिकिट नहीं मिला और वे पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे।
  21. सतना के कृष्णदेव सिंह।
    पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागौद के बेटे हैं कृ्ष्णदेव सिंह। नागेंद्र सिंह चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं और बेटे को टिकिट दिलाने के लिए कोशिश कर रहे हैं।
  22. मुरैना के राकेश सिंह।
    पूर्व मंत्री और पूर्व आईपीएस अधिकारी रुस्तम सिंह के बेटे हैं राकेश सिंह। रुस्तम सिंह के बेटे राकेश सिंह भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

इनके अलावा भाजपा में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस के पिता विधानसभा अध्यक्ष थे तो छतरपुर जिले के विधायक राजेश प्रजापति के पिता रामदयाल प्रजापति भी विधायक रह चुके हैं। विधायक राहुल लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे हैं।

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