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पद लालसा और राजनीतिक स्वार्थसिद्धि का परिणाम था देश का विभाजन
15 अगस्त, 1947 को हमें आजादी जरूर मिली, लेकिन देश के खंडित हो जाने के कारण ये आजादी अधूरी हे। 14 अगस्त को देश का विभाजन हुआ और भारत-पाकिस्तान के रूप में दो देश अस्तित्व में आए। विभाजन से पहले महात्मा गांधी ने कहा था कि देश का विभाजन मेरी लाश पर होगा। लेकिन कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व ने अपनी पद लालसा और और राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश का विभाजन स्वीकार किया। यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने हिंदू जागरण मंच मध्यभारत प्रांत द्वारा अखंड भारत संकल्प दिवस के अवसर पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबंधित करते हुए कही।
वर्चुअल समारोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त सह संघचालक श्री अशोक पांडे एवं हिन्दू जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री कमलेश सिंह ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निवेदिता शर्मा ने किया। समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि आज हम जिस अखंड भारत की परिक्ल्पना करते हैं, वर्तमान पीढ़ी के कई लोगों को यह एक कपोल कल्पना प्रतीत होती होगी। लेकिन हमें उन्हें यह बताना होगा कि यह सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि एक सच्चाई है। श्री शर्मा ने कहा कि अखंड भारत से एक-एक करके कई देश अलग हो गए, लेकिन उनमें भारतीय संस्कृति का भाव और मूल तत्व आज भी विद्यमान है। सिर्फ इन्हीं देशों में नहीं, बल्कि सारी दुनिया में भारतीय संस्कृति के प्रति स्वीकार्यता है। श्री शर्मा ने कहा कि सौभाग्य से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के रूप में हमें जो नेतृत्व मिला है, उसने भारतीय संस्कृति को सारी दुनिया में प्रसारित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जब विश्व योग दिवस मनाने का प्रस्ताव विश्व संस्था में रखा, तो दुनिया के अधिकांश देशों ने उसे हाथों हाथ लिया और आज सारी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जाता है। श्री शर्मा ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि सारी दुनिया में हिंदू संस्कृति जो एक जीवन पद्धति है, के प्रति स्वीकार्यता बढ़ी है।
श्री शर्मा ने कहा कि जो लोग भारत को मिश्रित संस्कृति वाला देश कहते हैं, वे वास्तव में इसकी गलत व्याख्या करते हैं। भारत में एक ही संस्कृति रही है और वो है भारतीय संस्कृति या हिन्दू संस्कृति। अखंड भारत के अंग रहे सभी देशों में इस संस्कृति की स्पष्ट छाप आज भी दिखाई देती है। श्री शर्मा ने कहा कि उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में महासागर तक का जो भू-भाग है, वह भारत है और यह भारत सिर्फ जमीन का एक टुकड़ा नहीं है। यह माता का जीवंत स्वरूप है। उन्होंने कहा कि हमारे नेता स्व. अटलबिहारी वाजपेयी ने भी भारत वर्ष को एक जीवंत राष्ट्रपुरुष के रूप में देखा था। उन्होंने कहा कि हमें हमारी युवा पीढ़ी को राष्ट्र के प्रति यही दृष्टि प्रदान करनी होगी। उन्हें यह बताना होगा कि अखंड भारत सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि यह एक वास्तविकता थी और इसे फिर से वही स्वरूप प्रदान किया जा सकता है।
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