नरोत्तम मिश्रा ने खुद पैरवी की, अब 10 जुलाई को सुनवाई

आयोग में शिकायत करने वाले विधानसभा चुनाव 2008 में नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ चुनाव लड़ने और दूसरे नंबर रहने वाले राजेंद्र भारती के वकील और जाने माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल व विवेक तन्खा नहीं आ सके थे। इस कारण भारती ने अदालत से आग्रह किया कि वे तैयारी से नहीं आए हैं और हड़ताल के कारण उनके वकील भी नहीं पहुंच सके हैं। इसलिए उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका देने अगली कोई तारीख दी जाए।
दोपहर में जज ने सुनवाई के बाद फैसले को बाद में देने को कहते हुए कार्रवाई उस समय समाप्त कर दी थी। इससे भारती व अन्य लोगों को लोग की कहीं अदालत स्टे न दे दे। दोपहर के बाद जज ने फैसला देते हुए लिखा किया राजेंद्र भारती को अपना पक्ष रखने का मौका देने के लिए प्रकरण की सुनवाई 10 को फिर से रखी जाएगी।
गौरतलब है कि नरोत्तम मिश्रा के मामले में चुनाव आयोग का रुख एकदम साफ है कि उन्होंनें तीन साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया है। वहीं 17 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र व उसी दिन होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में डॉ. मिश्रा की भूमिका संदेहास्पद हो गई है। अदालत 10 जुलाई को अगर स्टे देती है तो उन्हें मतदान करने का अधिकार होगा मगर याचिका खारिज हो गई तो डॉ. मिश्रा की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। ऐसी स्थिति में उनका न केवल मंत्री व विधायक पद जाएगा बल्कि वे विधानसभा चुनाव 2018 व लोकसबा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रत्याशी नहीं बनाएगी।

वहीं पार्षद प्रदीप मोनू सक्सेना के नेतृत्व मे काँग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मंत्री मिश्रा के इस्तीफे को लेकर प्रदर्शन किया एवं बंगले का घेराव किया। इसमें मुख्य रूप से पार्षद गुडू चौहान, कृष्णा घड़गे, अभिनव बारोलिया,हिमांषु धाकड़, मुजाहिद सिद्दकी, ओर सेकड़ो कार्य करता मोजूद थे।

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