प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अब दलित वोटों के बहुजन समाज पार्टी की तरफ जाने का डर सताने लगा है। वे अपने विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे तो उन्होंने इस वर्ग के लोगों को बसपा नेताओं से सावधान रहने के लिए एक सवाल छोड़ा जो उन नेताओं के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। सुनिये गृह मंत्री मिश्रा ने अपने डर को दलित वोटरों को बताए बिना क्या राजनीतिक दांव खेला।
दतिया जिले की दतिया विधानसभा सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत रहे भाजपा विधायक और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को इस बार बहुजन समाज पार्टी से डर लगने लगा है। शायद यही वजह है कि वे दलित वोटरों के सामने जाकर बहुजन समाज पार्टी की नीतियों की आड़ में बसपा नेताओं से सवाल करने का दांव चल दिए हैं। आज मिश्रा अपने विधानसभा क्षेत्र में एक सभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने बसपा की उस नीति का हवाला दिया जिसमें उसकी नेता मायावती व उनके अन्य नेता कहते थे कि सरकारी जमीन गरीबों की है। मिश्रा ने इन वोटरों को बसपा का नारा, मोहर लगेगी हाथी पर नहीं तो गोली लगेगी छाती पर, भी याद दिलाया। उन्होंने इन मतदाताओं को कहा कि वे बसपा के नेताओं से पूछें कि उनकी नेता मायावती तीन बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं तो कितने गरीबों को सरकारी जमीन दे दी। गौरतलब है कि नरोत्तम मिश्रा पर अभी पेड न्यूज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। वहीं, पिछले चुनाव में उनकी जीत भी ढाई हजार से कुछ ज्यादा वोट की ही थी जबकि नोटा को भी दो हजार से ज्यादा वोट मिले थे। ऐसे में मिश्रा को बसपा का डर सताना वाजिब भी है। पिछली बार बसपा का कोई भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं था।
गृह मंत्री के बयान पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने
गृह मंत्री मिश्रा ने इस बयान को किस संदर्भ में दिया, यह उनके पूरे वीडियो को सुनने से पता चलता है और जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने उसके कुछ हिस्से को लेकर ट्वीट किया तो उसका अर्थ बदल गया। इसको लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने बबेले को ट्विटर पर ही चेतावनी दी कि वे इस गलती को सुधार कर माफी मांगें नहीं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, बबेले ने वीडियो के एक हिस्से के उपयोग करने को कूटरचित होना नहीं बताते हुए केसवानी को जवाब दिया है।
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