शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, धर्मांतरण और उसका विरोध, धार्मिक नहीं, केवल राजनीति

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि धर्मांतरण कराने वाले लोग किसी को धार्मिक रूप से ऊपर उठाने के लिए नहीं कराते हैं और न ही धर्मांतरण का विरोध करने वाले उसे रोकने के लिए करते हैं। यह सब क्यों होता है, जानिये शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी के विचार।

मध्य प्रदेश हो या छत्तीसगढ़ या फिर देश के दूसरे राज्य, सभी जगह धर्मांतरण को लेकर दूसरे धर्मों पर आरोप लगाए जाते रहते हैं लेकिन इसके पीछे धर्मांतरण कराने वाले और उसका विरोध करने वालों की क्या मानसिकता होती, इस पर अब हिंदू धर्म के धार्मिक नेताओं ने स्पष्ट बयान नहीं दिया था। छत्तीसगढ़ में इस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने खुलकर बात की और इसे राजनीति बताया है।
धर्मांतरण के पीछे संख्या बढ़ाना मुख्य उद्देश्य
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में धर्मांतरण को लेकर यह बात कही है कि धर्मांतरण कराने वाले लोगों का किसी व्यक्ति को धार्मिक रूप से ऊपर उठाने का उद्देश्य नहीं होता है बल्कि उसका मुख्य ध्येय अपनी संख्या बढ़ाना है। उनका राजनीतिक उद्देश्य होता है जो पूरे विश्व में अपना राज्य स्थापित कराना चाहते हैं। आजकल राजनीति में संखया का बड़ा महत्व हो गया है औऱ धर्मांतरण का विरोध भी धार्मिक कारणों से नहीं हो रहा है। वे भी राजनीतिक कारणों से ही विरोध करते हैं। वे इसलिए विरोध करते हैं क्योंकि जिन लोगों को उनकी बात अच्छी लगती है तो वे उनके वोटर बन जाते हैं। इसलिए धर्मांतरण व उसका विरोध केवल राजनीति है। धर्मांतरण का धार्मिक से कोई लेना-देना नहीं है, उसका संबंध केवल राजनीति से है।

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